'शुरु कंही से भी हो बात , मुस्त्मकुराहट पर होना चाहिए । रोता हुआ चाहे कोई भी आए , जाना हँसता हुआ चाहिए !'
हो शुरु कंही से भी बात
खत्म मुस्कुराहट पर होना चाहिए
चाहे रोता हुआ कोई आए
जाना हंसता हुआ चाहिए
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कहानी | बाल कहानी | |
सुविचार | भक्तिमय विचार | |
कहानी | सामाजिक | |
कहानी | प्रेम कहानियाँ | |
कहानी | लघुकथा | |
कहानी | ऐतिहासिक | 4th |
कहानी | संस्मरण | 4th |
कविता | चौपाई | 5th |
London is the capital city of England.
कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"महानायक "
अंक ...४ 🌺🌺
गतांक से आगे
युवराज ,
उसदिन महाराज शिकार की खोज में यमुना क्षेत्र की ओर बढ़ गये थे।
अचानक, एक विचित्र मीठी- मादक गंध से हम सब सराबोर हो गये,
'अमात्य, क्या
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" महानायक"
अंक ... ३ 🌺🌺
मैं बेहद चिंतित अवस्था में यही सोचता हुआ जा रहा था।
कि माता-पिता दोनों के रहते हुए अनाथों सा जीवन जिया है मैंन।
पिताजी की छत्रछाया मुझे युवावस्था में प्राप्त हुई।
पिताजी
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" महानायक "
अंक ... २ 🌺🌺
देवदत्त ज्यों द्वार के मुख्य द्वार पर पहुँचा संदेशवाहक आ चुके थे ,
- 'युवराज की जय हो '
महाराज का दल अभी हस्तिनापुर से कुछ कोस दूर है थोड़ी देर में ही पहुँचने वाला
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कहानीसामाजिक
नमस्कार साथियों 🙏
मैं एक बार फिर से आप सब के समक्ष प्रस्तुत हूँ। चिरपरिचित महानायक के चरित्र के कुछ अनछुए पहलू को छूने की कोशिश मात्र करती हुई ।
आप सबों ने 'महाभारत' ग्रन्थ को पढ़ा , सुना अथवा कम
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" वो छोड़ गया मुझको"
' सुधाकर नहीं दिख रहे हैं तेरे प्रमोशन का इतना बड़ा फंक्शन और वही गायब है '
जब दरवाजे पर सुधाकर की राह तकती उनकी नजर थक चुकी तब यह दुखदाई सवाल दाग दिया था ।
'मेहुल' कट कर
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कहानीसामाजिक, लघुकथा
#शीर्षक
" मां का प्यार बरसता रहे "
🌺🌺🌺🌺
' लंगड़ी , हाँ यही उसका नाम है '
मुहल्ले के लोग उसे इसी नाम से पुकारते हैं।
' जब भी मेरी यह भक्त कन्या अपने एक छोटे पाँव पर हिलक-हिलक कर अकेली ही
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कहानीलघुकथा
# शीर्षक
" मेरा जॉनी " ...🍁🍁जो प्राप्त है वह पर्याप्त है
जीवन में संतुष्टि का भाव भी बहुत जरूरी है। ईश्वर ने जो हमें दिया है, उसके प्रति संतुष्ट होना भी बहुत आवश्यक है, नहीं तो हम चाहे कितने ही
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटी फुल " ... 5 🍁🍁
शाम का वक्त राजी सुमित के स्कूटर पर पीछे बैठ गई है।
अब आगे...
अब किसी को ट्राई करना है तो नजदीक तो जाना पड़ेगा यह सोचती हुई राजी ने सुमित को कंधो से पकड़ कर झिझकती
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कहानीप्रेम कहानियाँ
# शीर्षक
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल
... ४ 🍁🍁
फिर सावधानी से उसने कमरे के टेबल पर रखे अपने बैग में से एक लिफाफा निकाला।
गुलाबी रंग का सुंदर, सुगंधित लिफाफा जिस पर लाल रंग से बड़ा सा दिल बना हुआ है।
उसने
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
"बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " 🍁🍁 भाग ... ३
अब ये तो तीन तिगड़ी की कहानी हुई 'राजी, हिमांशु एवं अनुभा '
जिस पर आधारित इस त्रिकोण यों देखें।
' हिमांशु फिदा है राजी पर,अनुभा फिदा है हिमांशु पर, और राजी
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कहानीप्रेम कहानियाँ
अंक ... २ 🍁🍁
आज आपका परिचय राजी के साथ पढ़ने वाले अन्य दूसरे साथियों के साथ करवाती हूँ।
जिस कोचिंग इन्ट्सच्यूट में राजी और अनुभा मेडिकल की कोचिंग करने जाती हैं वहीं उनके साथ उनकी कॉलोनी के ही दूसरे
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" बोल्ड ऐन्ड ब्यूटीफुल " 🍁🍁 भाग ... १
साथियों नमस्कार 🙏☘️
इस लंबी कहानी के अधिकतर पात्र -पात्राएं हमारे आपके जैसे चलते-फिरते सहज एवं स्वाभाविक मानव-जनित भूल को करते हुए भावनाओं से भरपूर
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कहानीलघुकथा
#शीषर्क
" गोरा- चिट्टा दूल्हा " 🍁🍁
' अरी ओ राजरानी, अब ये साज-श्रृगांर , पाउडर-लाली सब तेरह दिन तक बंद '
' नहीं करना है तुम्हें यह सब... नहीं करना चाहिए तुम्हें '
चाची की भारी आवाज सुन कर स्नेहा की
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कहानीसंस्मरण
पितृ दिवस आधारित रचना । हर बार जिंदगी कुछ खूबसूरती ही बिखेरे यह आवश्यक नहीं है साथियों कुछ बदनुमा दाग -धब्बे भी रहते हैं उसके दामन में... इसी पर आधारित है यह रचना
#शीर्षक
"एक पिता ऐसा भी "
साथियों
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" बेबी चांदनी "
अंक -७ 🍁🍁
समापन अंक
' आज मम्मी की रिपोर्ट आने वाली है।
कहीं ... यह असमय की बीमारी भगवान् ना करे उनके शरीर से लेकर मन तक फैल ना जाए ? '
यह सोचती चांदनी बेचैन हो रही है।
इस
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कहानीसामाजिक
# शीर्षक
"बेबी-चांदनी "अंक... ६ 🍁🍁
मम्मी को थपकियाँ देकर सुलाने के साथ ही चांदनी भी सो गई थी।
अगले दिन सुबह तड़के ही उसकी नींद खुली थी।
उसे थोड़ी देर के लिए बैंक के काम से निकलना था फिर अस्पताल जा
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कहानीसामाजिक, प्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" बेबी चांदनी"
अंक ... ५ 🍁🍁
मित्रों पिछले भाग में आपने पढा ... ' ' चांदनी इस बार अपने मन में बहुत सारे प्रश्न लेकर आई है।
लेकिन यहाँ मम्मी की तबीयत खराब देख कर कुछ देर के लिए सब भूल जाती है...
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" बेबी चांदनी " 🍁🍁
अंक ... ४
चांदनी को पेटिंग थमाते वक्त ही चित्रा ने नोटिस कर लिया था।
चांदनी असहज हो गयी है।
लेकिन टोकना सही नहीं जान कर चुपचाप ही रही।
परंतु इस एकांत में चांदनी की अपनी
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"बेबी -चांदनी "
अंक ... ३ 🍁🍁
मेडिकल कॉलेज की ऊंची ईमारत इस समय रात के अंधेरे में डूबी हुई है।
चित्रा हैरान चांदनी को अकेली न छोड़ उसके हाँथ पकड़ कर बाहर ले आई है।
सच में संसार में मित्रता
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" बेबी- चांदनी "
अंक ... २ 🍁🍁
बेबी चांदनी की आंखों में रहस्य के काले घेरे उभरने के पहले ही मम्मी ने एक गाड़ी वाले अंकल की सिफारिश से उसका दाखिला शहर से दूर बने इस बोर्डिंग स्कूल में करवा
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कहानीसामाजिक
नमस्कार साथियों 🙏 🍁🍁
अगर सच्चे हृदय से कहूं तो पुरानी फिल्में देख कर यह धारावाहिक लिखने को प्रेरित हुई हूँ।
बहुत दिन नहीं हुए जब मुजरा-गोष्ठी, नृत्यांगना,हवेली-जमींदार तथा इनसे जुड़ी तमाम किवदंतियां
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कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
"भ्रम" ... 🍁🍁
"देखिए ब्रजेश बाबू ऐसा है। आई,आईटियन है मेरा बेटा आप मुझे बस सात लाख कैश और एक स्विफ्ट डिजाएर दे दें ,
फिर आप जब चाहे जहाँ कहें हम बारात ले कर आ जाएगें "
ब्रजेश जी चुपचाप
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" बड़े भैया 🍁🍁"
'बबँडर' यानी ' मृगतृष्णा' का नाच तो आप सबने अपने बचपन में अवश्य देखा होगा मेरी अम्मा कहती थीं,
" वह गर्मी से भरी दुपहरिया में नाचती है और नाचते - नाचते सामने जो भी आ जाता
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कविताअतुकांत कविता
मेरी संस्मरणात्मक अतुकांत कविता...।
#शीर्षक
" पत्ता " 🍁🍁
हमनें सदा कटे हुए वृक्ष के दुख
देखे हैं।
लेकिन वृक्ष से उगी टहनी से झड़े पत्ते
का दुख जाना है कभी ?
नहीं ना !
एक दिन वह तेज हवा में टहनी
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कहानीसामाजिक, लघुकथा
#शीर्षक
" आस्था " 🍁🍁
" जिद नहीं करो जो़हरा हमारे यहाँ औरतों को कब्रिस्तान जाने की सख्त मनाही है।
जो औरतें ऐसी गलती करती है उसपर खु़दा और उसके फरिश्ते लानतें बरसाते हैं "
बड़ी आपा के उसे समझाने
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कहानीसंस्मरण
" संस्मरण कथा "
" मैंने जो कुछ अपने दादाजी से सीखा" 🍁🍁
यह सँस्मरण मेरे दादाजी को मेरी तरफ से श्रद्धांजलि है।
वे बहुत लंबी उम्र जिए,
" मैं पूरे गाँव का दादा हूँ "
जब वे कहते तो उनकी अनुभवी आंखें चमक
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दादा जी की बहुत सुन्दर और भावपूर्ण स्मृतियाँ..!!
धन्यवाद सर
दादा जी की बहुत सुन्दर और भावपूर्ण स्मृतियाँ..!!
जी हार्दिक धन्यवाद सर
कहानीसामाजिक, लघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
"मीठी फांस" 🍁🍁
सोलह साल की उम्र बेहद नाजुक होती है। इस उम्र में यों भी लोग दिमाग की कम और दिल की ज्यादा सुनते हैं।
लेकिन शहर मैनपुरी के ' गोविंद बाबू' के सोलह साल के बेटे ' रोहित
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कहानीअन्य
#शीर्षक
" डबल इनकम " 🍁🍁
'मजा' है या किन्हीं विशेष परिस्थितियों में वो कैसे 'सजा ' बन जाती है मेरी आज की कहानी में मैंने यही दिखाने का प्रयास किया है।
कहानी के नायक और नायिका दोनों वर्किंग है।
सुधीर
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कहानीसामाजिक, संस्मरण
अतीत के झरोखे से ... साथियों नमस्कार 🙏सच में ' जिन्दगी सी होती हैं वे लड़कियां जिनमें बहन सा स्नेह और माँ सी ममता होती है ' ।
#शीर्षक
" गुलाबी-स्कूटी " 🍁🍁
इतनी लम्बी जिन्दगी के न जाने कितनी खट्टी-मीठी
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भावपूर्ण और अत्यंत मर्मस्पर्शी..! बहुत बड़ा अन्याय हुआ उसके साथ.. पति ने भी साथ नहीं दिया.
कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" मेरी -भाभी " 🍁🍁
रात के करीब आठ बजे हैं।
आज पूरे चौबीस घंटे के बाद बुखार टूटा है।
सारा बदन जैसे दर्द में जकड़ा हुआ है।
कुछ समझ नहीं पा रहा था आखिर हुआ क्या है मुझे ?
रुचिका ने कमरे के बाहर
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कहानीप्रेरणादायक, लघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
"शहर अच्छे हैं " 🍁🍁
महानगर का रिहायशी इलाका।
संध्या पाँच बजे के लगभग...
कॉलेज से लौटती अपनी गुलाबी स्कूटी पर सवार लवीना की नजर सामने से आते हुए एक परेशान से खास्ताहाल बुजुर्ग
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कहानीसामाजिक, प्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी
"मृग-मारीचिका" भाग छह ...🍁🍁
'समापन अंक'
मित्रों पिछले दिनों आपने पढ़ा। चन्दर को चार दिनों के टूर पर बाहर जाना है... आज आगे ...
अजीब सी जद्दोजहद में घिरी हुई शेफाली ने चन्दर का सामान पैक कर
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कहानीसामाजिक
लंबी कहानी
"मृग - मारीचिका " ... 🍁🍁
भाग ... ५
कल आपने पढ़ा शेफाली के विवाह का सुनहरा सपना टूट चुका है ... आगे
चन्दर उसके गाल पकड़ कर कह रहा था,
" ओ...हैलो...जिन्दा हो या मर गई ? उठो मैं ऑफिस के लिए निकल रहा
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कहानीसामाजिक
लंबी कहानी
#शीर्षक
" मृग-मारीचिका " भाग ...४ 🍁🍁
कल आपने पढ़ा था चन्दर के कदमों की आहट से उसका ध्यान टूटा था।...
" तुम अभी तक बैठी हो लाज की गठरी बन कर... ये शर्म ये नजाकत सब बेकार की बाते हैं अच्छा होता
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कहानीसामाजिक
लंबी कहानी
#शीर्षक
" मृग-मारीचिका " भाग...३ 🍁🍁
शेफाली की माँ की अवस्था दिनों-दिन खराब होती जा रही थी। शायद उन्हें इस तरह सयानी, जवान बेटी का अकेला रहना एवं यों ही अकेले घूमना-फिरना रास नहीं आ
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" मृग-मारीचिका" भाग ....२ 🍁🍁
कल आपने पढ़ा ... चन्दर के कृत्य से शेफाली बेसुध सी हो गई है।
आज आगे...
आवेग के थम जाने पर चन्दर मानों शेफाली को परास्त हुई जान कर संतुष्ट भाव से उठ गया।
विजेताओं
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कहानीसामाजिक
प्रिय साथियों नमस्कार 🙏 मैं पुनः एक नई कहानी के साथ प्रस्तुत हूँ।
जिसकी नायिका 'शेफाली ' आज की स्त्री है कोई ' गाय' नहीं।
विरासत के नाम पर सदियों से चली आ रही परंपरा को उसने तोड़ने की कोशिश की है...
उसका
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कहानीसामाजिक
शनिवार
#शीर्षक
"अपना गाँव अपना देश" 🍁🍁
बोर्डिंग पास, सिक्योरिटी चेक और चेक इन की अफरातफरी से उबरने के बाद प्रतीक्षा लाउंज में बैठी रुचिका का ध्यान चारो तरफ से घूम कर अपने परिधान की ओर चला गई
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी भाग ... 4 🍁🍁
#शीर्षक
" मिलन की बेला " 🍁🍁
हालांकि नयी जिन्दगी की शुरुआत इतनी बुरी भी नहीं थी।
सुधीर खुले दिल वाले समझदार पति साबित हुए थे।
उन्हें इस बात से कि ... शिवानी की आगे की पढ़ाई
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी भाग ... ३ 🍁🍁
#शीर्षक
" मिलन की बेला "
" ममा आप ठीक तो हो " बिटिया की चिंतातुर आवाज ...
वह फोन लिए हुई बालकॉनी में आ गई और स्नेह भरे स्वर में पूछ बैठी,
" हाँ बोल बेटा "
" कुछ नहीं बस आपकी बहुत
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी ... भाग २ 🍁🍁
#शीर्षक
"मिलन की बेला भाग ...२
फेसबुक बन्द कर के गहरी उधेड़बुन में डूबी हुई शिवानी स्मृतियों के उलझे हुए संसार में जा पँहुची है।
यह कैसा मोह ? कैसी अपेक्षा ? है इस उम्र
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी ... 🍁🍁 भाग ....एक
मित्रों क्या सच में ऐसा होता है ?
कि ढ़लती उम्र के किसी अन्जाने मोड़ पर अपने कॉलेज के प्रिय सहपाठी की याद मीठी गुदगुदी से भर दे ?
और कोई बेताब हो जाए उससे मिलने को अगर आपका जवाब
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कहानीसामाजिक
लघुकथा
#शीर्षक
" एसिड अटैक " 🍁🍁
"कौन... कौन... है वहाँ पर ?
'विजया ' ने सशंकित हृदय लिए कांपती हुई आवाज में पूछा।
" ओहृ तरुण ! मुझे मालूम है यह तुम ही हो मैं तुम्हारी खुशबू पहचानती हूँ"
"तुम्हारी आवाज
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" रामरती चाची " समापन अंक 🍁🍁
धीरे -धीरे रामरती ने गृहस्थी की कमान अपने हाथों में ले ली और अपने मीठे स्वभाव के अनुरूप ही अपनी टपरी वाली दुकान का नाम रखा " रसभरी चाय की दुकान "।
कॉलेज के
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" रामरती चाची " 🍁🍁 भाग ... १
फागुन की मस्ती भरी बयार में आज कथा सुनाती हूँ "नैएका गाँव" की जिन्दादिल रामरती चाची की।
सारे दिन दुकान पर बैठी रामरती के खुले बालों में फागुन माह की धूल उड़-उड़
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कहानीप्रेम कहानियाँ
" रामरती चाची " 🍁🍁
अंक ... 2
प्रिय पाठकों प्रस्तुत है रामरती चाची का अगला अंक कि किस प्रकार रामरती पति योगेश के द्वारा ठुकराए जाने के बाद अपनी और योगेश की माँ का भरण -पोषण करने में जुट गई है।
अब आगे...
जिनके
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कहानीप्रेम कहानियाँ
क्या सच में 'पल दो पल का प्यार' 'पल दो पल का' ही हो कर रह जाता है ?
न जाने कितनी सजीव प्रेमगाथाएं हमारे उस कॉलेज के विस्तृत परिसर में लिखी गयी थी।
"शीर्षक "
मासूम सवाल "
जिस ' मीठे झूठ ' वाली प्रेमकथा
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#वैलेंटाइन्स
#शीर्षक
"धूल वाली लड़की " 🍁🍁
धीरज को अपने स्कूल के व्हाट्सएप ग्रुप ज्वॉएन किए हुए कुछ दिन ही तो गुजरे हैं।
और अब उसके पर्सनल नम्बर के वॉट्सएप पर मेसेज करते हुए धीरज थोड़ा घबराया
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#वैलेंटाइन्सवीकस्पेशल
#शीर्षक
" पहला प्यार " 🍁🍁
अब मैं उन्नीस वर्ष की हो गई हूँ पर जब और भी छोटी थी तब एक बार दीदी को अपनी किसी दोस्त से बोलते हुए सुना था,
" प्रेमपत्र पाना खुदा की नेमतों जैसा
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"अपराधिनी " 🍁🍁
अंक ... तीन समापन भाग...
कमरे में अचानक चुप्पी छा गयी। सगुण की आंखें अपनी उन चंद दिनों की सपनीली प्रेमगाथा की तलाश में दूर... विचरण करने लगी है...।
ओहृ... कैसे अनमोल चांदी
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कहानीसामाजिक
गतांक से आगे
" अपराधिनी " 🍁🍁भाग ...2
" क्या दीदीमाँ "
" सुन तो, उतावली क्यों हो रही है ?"
" मैंने माँ को नहीं देखा है दीदीमाँ और ना ही जाना है। माँ क्या ऐसी होती है अपने बच्चों पर सब कुछ वार देने वाली
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कहानीसामाजिक
नमस्कार मंच 🙏
प्रस्तुत लंबी कहानी
#शीर्षक
"अपराधिनी " 🍁🍁
की नयिका 'सगुण ' कारागृह में रहने वाली चरित्र है।
लेकिन है तो इसी समाज का अंग अथवा उसका वीभत्स रूप कह लें।
अब और ज्यादा विस्तार में
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गीत
#शीर्षक
" यादें" 🍁🍁
वो दिसंबर की ठिठुरती सर्दियों की शाम
कितनी खामोशियाँ पसरी थी मेरे और तुम्हारे दर्मियाँ।
जब झील के किनारे उगी, ठहरी, गहरी उष्णता तोड़ रही थी झील की निस्तब्धता......।
एक के बाद
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कविताअतुकांत कविता
निर्धारित विषय " अभी ना जाओ छोड़ कर " पर आधारित रचना।
#शीर्षक
" अभी-अभी " 🍁🍁
न जाओ तुम अभी-अभी छोड़
कर यूँ ही कंही, मीठा सा जख्म
उभरा है अभी कोई !!
हुई कहाँ पूरी अभी जुस्तजू ।
ले उठी अंगड़ाइयाँ तमन्नाओं
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कविताअतुकांत कविता
" अपने तो अपने होते हैं "बिषय निर्धारित रचना ...
विधा ... पध्
#शीर्षक
" वाकई "
ये अपने क्या पराए क्या ?
हैं जनमो के अमिट बंधन!
हैं अपने तो हैं हम !!
हमारे होने से ही हैं ये !!
और इनका आस्तित्व
वक्त-वक्त की
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कहानीलघुकथा
लघुकथा #शीर्षक
" सुखद मातृत्व "
" ममा ...ममा उठिए, देखिए कितनी सुहानी शाम है आप किधर खोए हुए हो ममा ",
"चलिए थोड़ा घूम कर आते हैं "
" ये क्या ममा आपकी आंखें... फिर से लाल "
" नहीं... नहीं" बेहद सफाई से आँसुओं
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
"नन्ही मिनी की रुमानी दुनिया " 🍁🍁
वक्त भी अजीब चीज होती है, जहाँ हर दर्द , हर गम वक्त के साथ कम होता जाता है।
यह पहली बार नहीं हुआ था और ना आखिरी बार जब अपनी मंजिल तलाशती और राह खोती मिनी मुसीबत
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी ...अंक छह
" नन्ही की रुमानी दुनिया " 💐💐
मिनी की ममा ने जब-तब मिनी को अपने ही खयालों में डूबा देख उस दिन पूछ बैठीं ,
" क्या बात है मिनी तू आजकल ज्यादा ही चुप रहती है तेरी पढ़ाई तो ठीक जा रही है
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी...अंक ५
#शीर्षक
"मिनी की रुमानी दुनिया " 💐💐
मैं पिंकी और एक सौ आठ नंम्बर फ्लैट वाले शर्मा अंकलजी का बेटा सौरभ शर्मा हम तीनोँ एक साथ खेलते पढ़ते और ट्यूशन जाते बढ़ने लगे थे।
क्लाश बारहवीं
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी ...अंक ४
" मिनी की रुमानी दुनिया'" 💐💐
आज सुनते है मिनी की कहानी उसकी जुबानी...
पापा की अनायास मृत्यु के बाद ममा ने घर वापस नहीं जाने का निर्णय खुद ही ले लिया था। मैं सांतवी में पंहुच चुकी
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी... अंक ३
#शीर्षक
" मिनी की रुमानी दुनिया " ,💐💐
" मिनी ओ... मिनी "
पुकारती हुई उसकी प्यारी बुबु ने मिनी को गोद में उठा उसके आंसुओं से भरे भोले मुखड़े पर चुम्बनों की झरी लगा दी है।
मिनी
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी... अंक २
" मिनी की रुमानी दुनिया" 💐💐
सामने बने मंच पर खड़ी मिनी का आत्मविश्वास से भरे खिले रूप और उसकी जिंदगी को तसल्ली से जीने की इच्छा ही उसे सबों से अलग करती है।
अपने सुरुचिपूर्ण परिधान
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कहानीप्रेम कहानियाँ
लंबी कहानी... अंक १
#शीर्षक
" मिनी की रुमानी दुनिया"
यह कहानी अपनी नन्ही 'मिनी' की है। जिसका पूरा नाम ' मृणाल गोस्वामी' उसकी दादीमाँ ने बहुत प्यार से रखा था। कुछेक अठ्ठाइस-उन्तीस साल पहले जब बगुले
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" अभिनेत्री " 💐💐
" मैं सारी उम्र तन्हा ही रही हूँ। दुनिया मेरी उँचाइयों को देखती है। मुझे कहाँ पहचानती है सुधाकर ?"।
इतने सालों में यूँ तो मालिनी के दिल ने हलचल करना ही बंद कर दिया है।
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" वो कौन है" 💐💐
"ओ! वो कौन है.. इतनी खूबसूरत बला सी ?" मिसेज मेहरा अपनी उत्सुकता रोक नहीं सकीं।
"खूबसूरत और बदतमीज भी! देख कैसी बेशर्म, बेहया सी नाच रही है अकेली मर्दों
के बीच " मिसेज बंसल जलती-भुनती
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"आ अब लौट चलें" 💐💐
सैनिटोरियम के बेड पर लेटे-लेटे थक चुके समीर ने भारी मन से बिस्तर से उठ कर बंद खिड़की के शीशे से उस पार झांकने की कोशिश की...
दूर तक कुछ नहीं नजर आया,
" शायद शीशा साफ नहीं
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" धनतेरस की रात",💐💐
मन-प्रफुल्लित, तन- प्रफुल्लित
आज धनतेरस की रात अनूठी।
मन में है एक झांकती आशा
महिलाएं सजाती थाली में दीपक
अक्षत, पुष्प माला सजाकर।
हे प्रभु अब और ना ले परीक्षा
कृपा
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कहानीसंस्मरण
" महापर्व " छठ विशेष ...💐💐
छठ पर्व वस्तुतः हमारी 'मानवता के प्रति हठ' की मिसालता कायम करनेवाला महापर्व है ।
छठ पर्व में हम नदियों की, उगते और ढ़लते सूरज देव की , केले के घौद की , गन्नों की समाज के लिए अछूत
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कहानीलघुकथा
# शीर्षक
"ऑनर किलिंग " 💐💐
" हाँ-हाँ क्या कर रही हो तुम ?" एक झटके से हाथ पकड़ रजत ने उस नीचे खींच लिया।
"आपने मुझे क्यों बचाया मर जाने दिया होता"
"ओहृ... ऐसे भी कोई करता है क्या? देखो तो दीए से जगमग! करती
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भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी..! समाज का दोहरा चेहरा.
जी हार्दिक धन्यवाद सर 💐💐
लेखआलेख
#शीर्षक
"पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है?"💐💐
शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहा गया है, जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए पुरुष के शरीर का बायां हिस्सा स्त्री का माना जाता है।
इसका
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कवितागीत
"हमसफर" 💐💐
कल चले जाएंगे तो याद करोगे मुझको
आज हैं मौजूद तो बेगाने से बने बैठे हो...
तुम अपने अपने से लगते हो मुझे फिर
हमें छोड़ के जाने की कैसे सोचा तुमने।
अगर पराए होते तो यों ही जाने देते
लगती अपनी
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कवितागीत
#शीर्षक
"ऋतु प्रभाव " 💐💐
शरद ऋतु में जब सांझ की स्वर्णिम
रोशनी आकाश में चमचमाते
चाँद के बीच उम्मीदों वाली
सपनों की नाव
करती हैं सरगोशियां
चमकते जुगनुओ के साथ
उस गुलमोहर के पेड़ के नीचे
जिसे
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कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
" करवाचौथ " 💐💐
"आज छह वर्ष हो गए हैं सुधीर को गुजरे हुए। "
"दिन एक पर एक कट ही रहे हैं, मेरा खाना-पीना, पूजा-पाठ, ऑफिस जाना सारे कार्य पूर्ववत चालू है "।
"सुधीर की निशानी अपने बेटे के
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" इतिहास " 💐💐
" क्या बात है, बुबु मुझे पहचान नहीं रही हो क्या?"
इस मीठी आवाज को सामने से सुने हुए अरसा बीत गया पर स्मृति पटल में अभी भी ज्यों की त्यों बसी हुई है।
घर से पलायन कर प्रभास के साथ
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बहुत अच्छी कहानी
जी धन्यवाद
धन्यवाद सर
कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" लंगड़ी-कन्या "
"लंगड़ी , हाँ यही उसका नाम है।"
"जब भी मेरी यह भक्त कन्या अपने एक छोटे पाँव पर हिलक-हिलक कर अकेली ही कदम खींचती हुई आती है , मेरा ध्यान अपने समस्त भक्तों से हट कर उस पर ही
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" आंटी जी " 💐💐
म़ैने अपने जीवन में कई परिस्थितियों को देखा है और बचपन से लेकर आजतक कितने ही तीज-त्योहार की याद अभी भी ज्यों की त्यों सहेजी हुई सी है। ,जिनमें से कुछ छोले पूड़ी सी नमकीन और
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" जन्म-कुंडली " 💐💐
हर माँ का सपना होता है कि वह अपनी नाजो से पाली बेटी को सोलह श्रृंगार में उसके पति के घर विदा करे। लिहाजा मैं भी अपवाद नहीं थी। तिनके-तिनके जोड़ कर जैसे चिड़िया अपना घोंसला
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कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
" लाइफ-टाइमर" 💐💐
" दीदी क्या सोच रही हो, मुझे तो बहुत डर... लग रहा है "
बंद दरवाजे के इस पार बैठी है सुगनी , सूनी-सूनी आंख, सिर के अधपके उलझे बाल सुलझाने के प्रयास करती देख' हंसा'... बोली।
हंसा
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कहानीलघुकथा
बालमन साहित्य के अंतर्गत लघुकथा...
#शीर्षक
"फ्रेंडशिप-डे"
"मिनी, ओ मिनी... उठ ना आज स्कूल नहीं जाना है क्या तुम्हें?"
"नहीं ना दादी, आपको पता नहीं आज हौलीडे है"।
"अच्छा किस बात की छुट्टी है आज ?"
अपनी
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक
" सपना " 💐💐
सपने में दिखी थी वह
वैसी ही सुन्दर कनक छड़ी
सी जैसी बर्षों पहले थी।
आंखों में लिए हँसी ख्वाब
गालो की मोहक गहराई ।
कलाई में थामें दुपट्टे की कोर ,
चुभोने को तैयार नैनों के वाण
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कहानीलघुकथा
छोटीसी-लघुकथा
#शीर्षक
" तीन-बुत"
" बुरा मत सुनो!","बुरा मत कहो!","बुरा मत देखो!"
"ऐसा बाबा ने कहा था... " मध्यरात्रि में वे आपस में बातें कर रहे।
पास खड़ा चौथा ठठा कर हँसा ,
"तुम्हारी कौन सुनता है अब ? देखो
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कविताअतुकांत कविता
बापू के जन्मदिन पर ...
"बापू तेरे बंदर तीन"
एक ने ,
बुरा मत कहो।
दूसरे ने,
बुरा मत सुनो।
तीसरे ने,
बुरा मत बोलो।
अब हमारे पास
एक उसकी
'अंतरआत्मा' !
जो कहती है।
'मुझे' बुरा मत कहो!
'मुझमें' बुराई नहीं
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कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
"सासु वही जो बहू मनभाए"
"अम्मा ममतामयी तो हैं ना? उन्हें गुस्सा तो नहीं आता ?"
" तुम गलत सोच रही हो ,वह जितनी ममतामयी हैं, उतनी ही कड़क भी "।
छह साल की उम्र में ही माँ को खो चुकी शगुन की
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कविताअतुकांत कविता
आज जीऊतिया पर्व के सुअवसर पर हृदय से उपजे कुछ उद्गार
#शीर्षक
" हे संतति तुम्हें प्रणाम " 💐💐
हे संतति तुझे प्रणाम
मन्नतों से पाया तुझको
प्यार किया,आराधना की
रुनुक-झुनुक कदमों की
आहट पा गुंजाएमान
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" जरुरतमंद "
"आज पुराने यजमान के घर उनके पिताजी के श्राद्ध का न्योता है " मुझे जल्दी निकलना होगा।
पत्नी से बोल ,
' दीनानाथ ' ऑफिस निकलने के पूर्व सुबह आठ बजे ही घर से निकल पड़े हैं।
" स्वागत
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" टूटती-दीवार " 💐💐
गांव की चौहद्दी पर स्वागत के लिए खड़े चाचा को देख खुश और हैरान रघुवीर,
"यह मेरे लिए एक सुखद एहसास था क्योंकि पिछले कितने ही साल से दोनों परिवार के बीच अबोला चल रहा था"
"किन्हीं
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक ...
" आहट प्यार भरी" 💐💐
इन दिनों ...
मेरा आइना करता है,
ये कुछ सवाल ?
मीठे स्वप्न,
जो हौले से देते...
दस्तक मन की सतह पर,
क्षितिज के उस पार से ...
तुम जो आओगे
कभी मेरी राहों... में
लिए उजालों के दीप
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कहानीबाल कहानी
बाल कथा
#शीर्षक
"हैप्पीनेस शॉप "
जब से मिनी दादी का घर छोड़ मुम्बई आई है। थोड़ी उदास रहती है। उसका दिल उसी गाँव वाले घर में रमा करता है। चाचू, बुबु सब याद आते हैं। वह अब नौ साल की हो चली है। बीच-बीच
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" प्रेम के रंग "
स्थानीय इंजिनियरिंग कॉलेज में दूसरे बर्ष के छात्र रीतेश और ज़ारा में कुछ तो गुपचुप अवश्य चल रहा है।
जा़रा जितनी प्यारी है ,उतनी ही मीठी उसकी आवाज।
रीतेश स्वभाव से जितना
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कहानीप्रेरणादायक
#शीर्षक
" सुलभा ताई "
स्थानीय विधालय की अवकाश प्राप्त शिक्षिका सुलभा जिन्हें सारा मुहल्ला " सुलभा ताई" के नाम से जानता था। उसकी जिंदगी इस समय ऐसे दोराहे पर आ खड़ी हुई है। जहाँ अपनो ने तो किनारा
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" ऐक्सेंट वाली हिंदी"
" माँ आप बहुत दिनों से मेरे घर नहीं आई हो। इस बार तो आपको आना ही होगा,
"मैं टिकट बनबा कर भेज रही हूँ। तो बस तैयारी शुरु कर दीजिए आने की।"
फोन पर बिटिया की खुशी से भरी आवाज
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कहानीसामाजिक
#शीर्षकः
" बड़े दिल वाला "
पेड़ से पीठ टिका कर जमीन की मुलायम घास पर बैठी हुई शिप्रा सुकून से सामने बहती नदी की धारा को निहार रही है।
उसके और सुधीर के विवाह को पच्चीस बरस पूरे हो गये हैं। सुधीर ने
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" मनमौजी "
"पिछले शुक्रवार को जब हम ऑफिस से लौटते वक्त भयंकर ट्रैफिक जाम में फंस गये थे"।
तब सिद्धार्थ ने गाड़ी की खिड़की से सिर निकाल कर रोड के उस पार खड़ी बिल्डिंग की छत पर घूम रहे व्यक्ति
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कहानीसंस्मरण
#शीर्षकः
" वे सुनहरे दिन "
शुभ शिक्षक दिवस की आप सबों को हार्दिक बधाई। मित्रों तरूणाई के मीठे दिनों की ऐसी कितनी ही यादें जिन्हें हम सब मन की गहराई में सहेज कर रखते हैं। तो आज मौका है और दस्तूर
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कहानीप्रेरणादायक
शिक्षक-दिवस के पावन उपलक्ष्य पर ...
#शीर्षकः
" डॉक्टर अनुभा "
मेडिकल कॉलेज के दीक्षांत समारोह में आत्मविश्वास और बुद्धिमता के तेज से लबरेज़, स्टेज की झलमल करती रोशनी में डॉ.अनुभा का चेहरा अलग
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" बाढ़ "
भादो के महीने में टप,टपा,टप,टप घनघोर बारिश हो रही है। चारो तरफ तबाही के मंजर फैले हुए हैं। हर बार की तरह गँडक नदी इस बार भी पूरे उफान पर ह...हा...हा बह रही है। किसी अनहोनी की आशंका
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कविताअन्य
#शीर्षकः
" चंद्रमा "
थाली की रोटी सा गोल-गोल चंदा।
गलियों में घूमें, यों ही आवारा सा।।
तेरी बातों का लिए स्वाद जुंवा पर
यह बारिशों का मौसम,भीगी ख्वाहिशें।
तेरे आने की खुशबू से संवरे हुए हालात।
ज्यों
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कहानीसामाजिक
#शीर्षकः
" यादें खट्टी- मीठी "
आज बरसों बाद सुनंदा आराम से पेड़ से पीठ टिका कर जमीन की मुलायम घास पर बैठी हुई सामने बहती नदी की धारा को निहार रही है।
उसके और सुधीर के विवाह को पच्चीस बरस पूरे हो
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" फौजी बिटिया"
" ममा मुझे जाना ही है फौज में "
सत्रह वर्षीय 'विनी'की ढृढ़ आवाज ने घर में चल रहे समस्त विचार-विमर्श पर पूर्ण विराम लगा दिया।
" क्या कह रही हो "? चारू हैरान रह गई।
जब से कारगिल
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Aha kitni sunder
धन्यवाद
धन्यवाद
कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" कमली-बाई "
" क्यों कमली इतनी जल्दी निकल चली, घर के सारे काम कौन करेगा? तेरी १०२ वाली मेमसाब ?"
" फिर टोक दी पीछे से माँ ,तुम बाज नहीं आओगी उन्हें क्यों कोस रही हो ? उनके यहाँ मेहमान आए हैं,
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लेखआलेख
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी विशेष आलेख।
कान्हा रे थोड़ा प्यार दे चरणों में बैठा कर तार दे... 💐💐
मोर मुकुट धारी श्री कृष्ण आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने द्वापर युग में थे। भगवान् कृष्ण का जन्म कारागार
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कविताअतुकांत कविता
राखी स्पेशल 💐💐
#शीर्षकः
" सुनो भाई "
सुनो भाई...
रात के अंतिम
पहर भी कुछ पंक्षी
चहचहाते हैं और आनेवाली
रुपहली भोर की सोच गुनगनाते
हैं। तो हम भी क्यों ना कुछ अच्छा
सोचे।
भाई...
मैं तुम्हें माँ
की
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कहानीलघुकथा
लघकथा ... #शीर्षक:
" अपना -घर " 🥀🥀"
सुखदा बहुत दिनों बाद आज सुबह ही अमरीका में बसे बेटे के घर से अपने घर वसंतपुर लौटी है।
इस वक्त वह थकी हारी बरामदे में बैठी सामने हरे-भरे वृक्ष,करीने से सजी क्यारियां
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षकः
" जाति-भेद " भाग -2
कल आपने पढ़ा... दो भिन्न-भिन्न जातियों के शाश्वत और अनुजा की मित्रता की परिणति प्रेम से आगे अब विवाह तक आ पंहुची है... आगे।
" अंक २ "
अनुजा अभी-अभी शाश्वत के साथ घूम
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कविताअन्य
प्रस्तुत है क्षणिका 😍😍
" हम थे नादान "
एक मैं हूँ बस दिल में तेरे ऐ मेरे मेहरबान
यह सोच कर खुश थे, हम बड़े नादान?
क्या था मालूम? हमें ओ मेरे साहिबजान
एक यही खुशफहमी हमें कर देगी बर्बाद।
मुझी से
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
" जाति - भेद " भाग -1💐💐
अनुजा और शाश्वत को मेडिकल कॉलेज में साथ पढ़ते हुए लगभग पाँच वर्ष बीतने को हो गये हैं। अब तो उनकी पढ़ाई खत्म होने को है।
दोनों एक ही शहर के निवासी पर कॉलेज में ऐडमिशन
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कहानीसंस्मरण
स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर निजी संस्मरण
#शीर्षक
"रंग-बिरंगे अनुभव"
मेरे पूज्यनीय पिताजी जिनकी पहचान आज भी महान् स्वतंत्रता सेनानी के रूप में है। वे अपनी माता-पिता की पाँच संतान में
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कहानीसंस्मरण
#शीर्षक
अतीत के गलियारे से...
" गणतंत्र दिवस के रंग-बिरंगे अनुभव "
साथियों देश पुनः स्वतंत्रता दिवस मना रहा है ... चारो तरफ उत्साह और ओज पूर्ण माहौल है। इस शुभदिन पर .मैं अपने अनुभव शेयर कर
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कहानीसामाजिक
# शीर्षकः
" दो बेटों वाली माँ "
वे दो बेटो वाली माँ हैं। उसका नाम , 'सुप्रिया' और बेटों के नाम क्रम से 'निखिल' एवं 'अखिल' है।
सुप्रिया को एक हद तक हम स्वाभिमानी या आत्मसम्मानी कह सकते हैं। पति फैक्ट्री
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षकः
"हरियाली -तीज स्पेशल "
💐💐💐💐
बड़े मीठे- मीठे अनोखी हैं
बातें।
उससे भी मीठी हैं यादें
मेरी।
१९ बरस की मैं अलबेली
छुई-मुई सी नार-नवेली।
कली ही थी
तब चंपा-चमेली सी।
कासे कँहू , कैसे कँहू मैं
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कविताअन्य
चित
#शीर्षकः
" तुम-बिन "
कंही बीत न जाए सब तीज-त्योहार
अब आ भी जाओ, मेरे सामने तुम
कब तक सपनों में रहूँ ढ़ूढ़ती तुम्हें?
आ गया रंगीला-हरे सावन का मौसम
अब यूं ना मुझे तरसाओ तुम, आ गये
सब के पिया रह
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सुविचारप्रेरक विचार
सुविचार
😙जब भगवान से किसी ने पूछा:- "प्रभु आप भी कमाल करते हैं किसी को इतना ख़ूबसूरत और किसी को बदसूरत बना देते हो?
आखिर आप ऐसा क्यूँ करते हैं, सभी को सुन्दर बनाने में आपका क्या जाता है?"
भगवान ने कहा:-
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कविताअन्य
क्षणिका 😊😊
#शीर्षक
" चाय पर "
कभी पास आओ , बैठो आराम से
हम भी रहेंगे अपने दिल थाम कर।
कुछ अपनी कहना, कुछ सुनना मेरी
कुछ किस्से बुनेंगे मिल बैठ के चाय पर।
यूँ करना सरगोशियां हम सपने सुनेंगे
तन्हाइयों
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कहानीसामाजिक
#शीर्षकः
" प्रवासी-बहु"
मुम्बई के उपनगर थाणे की छोटी सोसायटी 'वृजबासी' के छोटे से फ्लैट में उमाकांत अपनी पत्नी रजनी के साथ रह रहा है। वह लखनऊ के पास किसी छोटे से कस्बे का है।
वह अपने घर का बड़ा बेटा
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कहानीप्रेरणादायक
लोक कथाएं
#शीर्षकः
" अच्छे रास्ते का चयन "
जब पार्वती ने बनाया भोजन तो शिवजी ने उन्हें बताई ये अनोखी बा🌹🌹त
एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से कहा की प्रभु मैंने पृथ्वी पर देखा है
कि
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" राह अपनी-अपनी "
मनोहर बाबू का बेटा रमण फोन पर,
" पापा , प्रणाम मैं एक हफ्ते की छुट्टी ले कर घर आ रहा हूँ। इस बार घर का सौदा कर लेना है। मैंने सारी तैयारी कर रखी है"।
उसके प्रणाम के जवाब में
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" नाऊ वी आर फ्रेंड "
दिनांक २३ अप्रैल
" ये दोस्ती हम नहीं..." के सुरीले गीत वाली रिंग टोन घनघना कर बज रही है।
" उफ्फ क्या कंरू ? एक तो बढ़ती उम्र उस पर से कोरोना काल में ईश्वर की दोहरी मार अब
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" पकौड़े " 💐💐
जेठ में जब सारे ताल- तलैए सूख गये। तेज धूप से सभी परेशान हैं। यह समय वह होता है जब गांवों में बरसात की प्रतीक्षा में नये जाले बुने जाते हैं। शहरों में पंखे की घर्र-घर्र और
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कवितागीत
#शीर्षक
" वे बारिश वाले दिन"
मैं अलबेली
नार नवेली
सोच रही हूँ।
एक पहेली ,
अब भी क्या
मेरे गांव वाले
सावन की रुत
में बहती पुरवाई
ले चंपा मोतिया
की खुशबू ? और
नदी पोखरे के
किनारे जमी
कुकुरमुत्ते
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कहानीप्रेरणादायक
#शीर्षक
" गुरु -महिमा "
मैं ब्रजेश माथुर आज अपनी कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ। जिसमें प्रत्यक्ष रूप में तो गुरु महिमा गान नहीं करूंगा। परंतु अंत होते-होते आप स्वंय जान जाएगें कि एक १४ वर्ष की
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" वक्त के अनुसार "
इन दिनों रमा जी गौर कर रही हैं। उनकी सदा से खुश रहने वाली प्यारी सी सलोनी बहू स्मिता चिड़चिड़ी रहने लगी है।
उसके गोरे- गुलाबी मुखड़े पर पीली आभा छाई रहती है ।
पहले वे दोनों
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कहानीसामाजिक
#शीर्षकः
" मैं गलत तो नहीं " 💐💐
" शुभ्रा... ओ शुभ्रा " जरा इधर तो आओ देखो तुमसे मिलने कौन आया है?"।
पिछले ही साल तो गर्मी की छुट्टियों में राघव की शादी थी। जिसमें मीरा आंटी ने कितनी मिन्नतें की थी
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कवितालयबद्ध कविता
शीर्षकः
"बदलते- माएने"
कोई कहता है, और कोई सुना जाता है फ़सानो में।
कोई बुनता है ,और कोई बुना जाता है ख्वा़बों में।।
"कहानियों " की भी अपनी अलग दास्तां है दोस्तों।
किसी पर बीतती है तो कंही गढ़ी जाती
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" कचरे- वाला"
" ऐ ...हटो-हटो यह क्या कर रहे हो तुम? शर्म नहीं आती तुम्हें अभी पढ़ने और खेलने की उम्र में गंदगी के ढ़ेर से खेलते हो "।
कचरे वाली गाड़ी में से नौ साल के रामू को कुछ बीनते देख रमा बोली।
वो
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" हिप-हिप हुर्रे "
"हुर्रे यह मारा "
ननकू उछल पड़ा। ऊंची छलांग कूद में पूरे जिला स्तर पर ननकू का दूर-दूर तक कोई मुकाबला नहीं है।
हमारे देश में वक्त और हालात की मार से जन्मे न जाने कितने ही
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कहानीऐतिहासिक
"मेरा गाँव मेरा देश "
😙ताज बीबी का कृष्णप्रेम...
जब भी प्रेम की बात आती है। तो सबसे पहले नाम आता है। राधा-कृष्ण का इसके बाद अगर कोई प्रेम दीवानी थी तो वो थी मीरा।
जिसने अपना पूरा जीवन कृष्ण प्रेम में
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bahut achchi
जी धन्यवाद
जी हार्दिक धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद
कहानीलघुकथा
लघुकथा #शीर्षक
" बरसता सावन-मचलता मन"
एक लड़का और एक लड़की पूर्व परिचित हैं शायद?
दोनों साथ-साथ रास्ते से गुजर रहे। लड़के के हाँथ में बड़ी सी छतरी।
सावन का महीना, पूर्व दिशा से घनघोर बादल घिरने लगे,
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक:
" भ्रष्टाचार "
विनयबाबू सुपर-फास्ट ट्रेन से गया से पटना जा रहे हैं।
गाड़ी में भीड़ बहुत अधिक है।
इस भीड़ में लगभग दस-ग्यारह साल का लड़का गाने गा-गाकर भीख में पैसे मांग रहा है। जब वह पैसे
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कहानीलघुकथा
लघुकथा#शीर्षकः
"ऑनलाइन शॉपिंग "
" आखिर क्या करे वह अपने इस नामुराद दिल का?"।
यह क्यूं नहीं उतना रूखा हो पाता है? जितनी कि मेघा हो जाती है कभी-कभी उनके प्रति"।
यह सोच कर मालती हैरान है।
' मेघा '
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कवितादोहा
" हम तो बिखरे थे सूखे पत्तों की तरह
लोगों ने हमें बटोरा भी तो सिर्फ जलाने के लिए "
कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षकः
" बरसात की वो रात"
अषाढ़ महीने की घनघोर बरसात वाली वो रात। अभी तो उत्तर-पूर्वी मॉनसून ने आगे बढ़ना शुरु ही किया है।
फैरेडे हॉस्टल का कमरा नं. छब्बीस मेहुल और हमीदा दोनों बेखबर सोई हैं।करीब
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कहानीबाल कहानी
#शीर्षकः
" मिनी का संसार"
मुम्बई निवासिनी मिनी को अपनी दादी के गांव छोड़ शहर आए हुए तीन-चार वर्ष हो गए हैं। लेकिन अभी भी वहाँ की सुनहरी यादें हैं कि, दिल से निकलती ही नहीं?।
वो आठ कमरों वाला चारो
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कहानीप्रेम कहानियाँ
शीर्षकः
' शाम का उजाला '
वह एक पहाड़ी कस्बा था। एक लाल रंग की बड़ी सी बस, टेढ़े-मेढ़े पहाड़ी रास्ते पर उछलती -लचकती हुई करीब रोज ही उस कस्बे में रहने वाली रामा के घर के सामने से रोज गुजरती हुई आगे वाले
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कहानीलघुकथा
शीर्षकः
" दे र नहीं हुई है अभी "
रात करीब नौ बजे डोरवेल घनघना कर बजी तो मालती , सुधीर और नमिता की छोटी बहन नेहा तीनों आपस में एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। मालती ने दरवाजा खोला ।
दरवाजे पर नमिता
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लेखआलेख
आलेख ...
#शीर्षक#
" घरेलू हिंसा"
सामान्य जीवन में जब सत्य और सौन्दर्य का दमन होता है, तब जन्म होता है घरेलू हिंसा का ।
हमारे पुरुष प्रधान समाज में सदियों से स्त्री को उसकी सुरक्षा के नाम पर घरों
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कहानीबाल कहानी
.
#शीर्षक
" ईको फ्रेन्डली होली..."
होली में अभी एक हफ्ता बाकी है और सभी बच्चे आने वाले त्योहार के लिए खुश हैं।
सबसे ज्यादा खुश तो हमारी मिनी है ।
उसकी होली इस बार सबसे अलग होने वाली है।
नये लोग,
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कहानीबाल कहानी
बाल कहानी
#शीर्षक
" नन्ही मिनी की दुनिया"
"मिनी ओ... मिनी"
पुकारती हुयी उसकी प्यारी बुबु ने मिनी को गोद में उठा उसके आंसुओं से भरे भोले मुखड़े पर चुम्बनों की झरी लगा दी मिनी ने भी जो अब डौगियों
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सुविचारभक्तिमय विचार
#शीर्षकः
" राधा- स्वामी की जय "
🌷एक बार राधाजी के मन में कृष्ण दर्शन की बड़ी लालसा थी.. ये सोचकर महलन की अटारी पर चढ गई और खिडकी से बाहर देखने लगी कि शायद श्यामसुन्दर यही से आज गईया
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" लचीलापन "
सोसायटी वाले पार्क में पांचवे माले पर रहती अनीता की मुलाकात अक्सर ही दूसरे माले की , बड़े ऑफिस में काम करने वाली मेघा से हो जाती है। यों तो दोनों में उम्र का खासा फासला है
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बहुत सुन्दर और उचित परामर्श..!!
जी हार्दिक धन्यवाद
कहानीबाल कहानी
#शीर्षक#
सिरीज " मिनी "
ट्रिन-ट्रिन-ट्रिन ...फोन की घंटी बज रही है ... मिनी उठाने ही जा रही है कि मम्मा ने फोन उठा लिया ।
"मिनी ने पूछा किसका फोन है?"
"दादी का "
"मुझे भी बात करनी है"
मम्मा ने फोन मिनी को
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कहानीबाल कहानी
#शीर्षक
" नन्ही -मिनी "
तो आज मौका भी है दस्तूर भी है " कुसुम " यानी कि मैं मिनी की दादी अपनी नातिन नन्ही' मिनी' नहीं-नहीं कभी-कभी तो मुझे लगता है ।
शायद मैं ही नातिन हूँ। वो नटखट सलोनी मिनी मेरी दादी।
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कहानीबाल कहानी
#शीर्षक
" मिनी "
मिनी को मुम्बई आए हुए करीब छः -सात महीने हो गए हैं ।
कहाँ गांव की हरियाली और कहाँ कंक्रीट के जंगल ?
फिर भी मिनी का दिल अब लगने लगा है अच्छा सा स्कूल देख पापा ने दाखिला करा तो दिया
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बहुत प्यारी सी मिनी की अपनी अलग दुनिया आगे भी इंतजार रहेगा मिनी की करामातों के
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" छोटी - छोटी खुशी "
गाजियाबाद से सटी पूर्वी दिल्ली की यह कॉलोनी भी दिल्ली की आम अनाधिकृत कॉलोनियों जैसी ही है जिसके एक कमरे में बैठी हुई विनी गहरी सोच में डूबी हुई है। कल उसके कॉलेज
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लेखआलेख
#शीर्षकः
"मीराबाई "
😙अजीब बात है जिस राठोड वंश ने अपनी आन बान के लिए विधवा मीरा बाई को कष्ट दिए और मारने का प्रयास किया,
आज उसी के नाम से राठोड़ो की शान है और मर गए मारने वाले मीरा बाई अमर हो गई.
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कवितालयबद्ध कविता
शीर्षक :
" वो लड़की "
चली जा रही थी कब से वो अकेली यूं ही अनमनी हुई अंजान राहों में खोई सी।
अचानक किसी मोड़ पर मिली हँसती खिलखिलाती उसे जिंदगी, कहा रुक तो
जरा।
इधर आ कहाँ चली? वो ठिठकी,रुकी ,सकपकाई
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" दिल दीवाना"
" यह लो सुधा अब इन्हें ही अपने सुख-सुख के भागी बना लो "
मांजी ने छोटे से 'कान्हा जी' उसकी गोद में डाल अपनी सिसकियां समेट लीं।
"अभी उम्र ही क्या है तुम्हारी,
नहीं तुम्हें ऐसे
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कहानीबाल कहानी
#शीर्षक
मिनी ...
जब से मिनी मुम्बई आई है खोई-खोई सी है ।
दादा-दादी , बुबु - चाचू सबको मिस करती है । वहाँ के वह सात कमरे बड़े से बरामदे और विशाल वृक्षों से हरे-भरे बागीचे वाला घर यादों से निकलता ही
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कहानीलघुकथा
चित्र आधारित रचना
#शीर्षकः
"हवा की खुशबू"
"या खुदा ये मुझे किस जुर्म की सजा आपने दी है? एक तो बिटिया वह भी डेढ़ टांग की"।
छह वर्ष की राबिया को हिलक-हिलक कर चलती देख हमीदन मायूस हो कर अपनी खोली में
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कहानीलघुकथा
#शीर्षकः
" महज बता रही हूँ"
प्रिय बेटे
सदा खुश रहो। आज तुम फिर मेरी सालगिरह भूल गए?। नाराज नहीं हो रही।
जानती हूँ बड़े अफसर हो गए हो अनेकानेक व्यस्तता रहती होगी। आज सुबह ही तुम्हारी हेमा दी का
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कहानीबाल कहानी
बाल साहित्य के अन्तर्गत
#शीर्षक
"सैनिटाईजेशन"
चीनू एक ६ वर्ष का चंचल बालक है। उसके दिमाग में हर समय खुराफात चलता रहता है। जब से कोरोना काल शुरु हुआ है चीनू की शैतानियां अपने चरम उत्कृर्ष पर
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कहानीबाल कहानी
बाल साहित्य के अन्तर्गत...
#शीर्षक
भरपाई...
बहुत पुरानी बात है विश्व प्रसिद्ध नगरी काशी में गोवर्धन दास के कपड़ों की दुकान हुआ करती थी ।
गोवर्धन दास स्वभाव से संत थे ।
एक बार उन्हीं के मुहल्ले
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कहानीसामाजिक
सत्य घटना आधारित
#शीर्षकः
"हमारी जिज्जी"
ट्रिन... ट्रिन... सुबह आठ बजे ही घर के लैंड लाइन फोन की घंटी घनघना उठी थी। सर्दियों के दिन थे। कुनमुनाते हुए उठ प्रशांत जी ने फोन उठाया।
उधर से थरथराती
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कहानीलघुकथा
चित्र आधारित रचना
#शीर्षकः
" मिट गई दूरिया"
बारिशों के मौसम में इस बार ममा ने रोहण को घर में ही रहने की हिदायत देते हुए नये स्केट्स ला दिए हैं। साथ में पापा की अच्छी-खासी चेतावनी भी मिली है।
" देखो
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bahot achhi Rachna ..Masumiyat se Bhari hui.
जी हार्दिक धन्यवाद सर
कहानीसंस्मरण
नमस्कार मंच
साथियों ,
आज मैं उन दिनों की बात बताने जा रही जब मैंने कालेज में नया
दाखिला लिया था।यह उम्र का वह पड़ाव होता है। जब मन कुछ नया और ऐडवेंचरस करने की सोचता है।
बस इसी सोच के फलस्वरूप घटा
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आपने मोसेरी बहन.. का किरदार बहुत अच्छी तरह निभाया 😊
जी हार्दिक धन्यवाद सर 🙏🏼
कहानीलघुकथा
लघुकथा#शीर्षकः
"मीठी फांस"
सोलह साल की उम्र में जब यों भी लोग दिमाग से कम और दिल की ज्यादा सुनते हैं। लेकिन अपने रोहित ने सदा ही दिल के उपर दिमाग को रखा है।
सुविख्यात कोचिंग कलास में साथ-साथ
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बहुत अच्छी लघुकथा .! रोहित ने दिल को हावी नहीं होने दिया.
जी सर छोटे शहर से आए बच्चे बेहद भोले लेकिन समझदार भी होते हैं 💐💐
कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
"इन्द्रधनुष के रँग "
नमिता आज थोड़ी खुश है। शाम में सैर के लिए निकलते वक्त उसने सुधीरजी के लिए टिफिन में दो कटलेट्स बना कर बैग में रख लिए हैं। सोचा आज उन्हें अपने हाँथ के बने कट्लेट्स
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कहानीप्रेम कहानियाँ
"तुम्ही से शुरु तुम्ही पर खत्म "
मित्रों इसे आप नाकारात्मक सोच कह सकते हैं। परंतु यह मेरी अनुभव आधारित कहानी है। जो देखा,जाना और समझा है उसे ही लिख दिया...।
घर में बने मंदिर के सामने दोनों हाँथ जोड़े
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अत्यंत संवेदनशील और मर्मस्पर्शी रचना... जीवन के कटु सत्य..!
जी हार्दिक धन्यवाद सर 🙏🏼🙏🏼
कहानीलघुकथा
# शीर्षक
"यादों के संग "
आज आठ महीने हो रहे हैं सुधीर को गये हुए ।
दिन एक पर एक कट ही रहे हैं । उसका खाना -पीना , पूजा - पाठ सारे काम काज अपने ढ़र्रे पर आ गए हैं ।
आज करवा चौथ है। बस कभी सोचा ना था यूं
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कहानीलघुकथा
लघुकथा #शीषर्क
"बदलते रिश्ते "
अनीता जी रोज ८. २० की लोकल से अपने ऑफिस के लिए निकल जाती है।
फिर उनकी वापसी रात की ८ बजे वाली लोकल से ही हो पाती है।
वह अपनी पूजा के पाठ - अर्चना भी गाड़ी में ही कर
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कहानीप्रेरणादायक
#शीर्षक
" संयुक्त परिवार "
प्राचीन काल में किसी गांव के गोवर्धन दास नाम के व्यक्ति के भरे पुरे परिवार में करीब ५०० सदस्य थे। यह विशाल परिवार अपने सौहार्दपूर्ण व्यवहार और खुशहाली के लिए जाना
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
"एक कप कौफी और तुम"
पुल के उपर खड़े विकास और अनु बातें कर रहे हैं ।
अनु को विश्वास ही नहीं हो रहा है सामने खड़ा विकास ही है । "हामिद " जिसने ना जाने कितनी अनूठी प्रेमकथा विकास के उपनाम से
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कहानीलघुकथा
लघुकथा #शीर्षक
" खाली क्षण"
जिला स्कूल की रिटायर्ड प्रिंसिपल सुखदा राए अपने घर के लम्बे बरामदे पर बैठी सामने हरे- भरे वृक्ष और करीने से सजी क्यारियां निहार रही हैं।
अभी उनका मन बहुत भारी
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कहानीबाल कहानी
बाल साहित्य के अन्तर्गत
#शीर्षक
"जब रैम्बो बन गया रामादीन "
११ वर्षीय चिंटू के पापा मनोहर जी उसके उन दोस्तों को कोस रहे हैं। जिनकी बातो में आकर वह गली के मुहाने से कुत्ते के एक चार दिन के पिल्ले
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"विश्वास "
पिता का विश्वास ईश्वर पर... जबकि आचरण ठीक विपरीत। इस मद में वे सबको डराते धमकाते रहते।
एक ओर जहाँ उनकी अकूत सम्पत्ति बहती रही बाजारों में ,वहीं माँ चीखती रहती बंद दरवाजों के
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"आशा की किरण".💐💐
अस्पताल के बेड पर लेटी नीरजा की तन्द्रा टूटने को है
"तो क्या वो मर गई थी ",
"वो थोड़ा डर गई , लेकिन नहीं वो सोच पा रही है और जब तक आदमी सोच पाता है वह जिन्दा रहता है" ।
तभी नर्स
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कविताबाल कविता
#शीर्षक
" दीदी की क्लास "
आओ बच्चों आओ
लगी दीदी की क्लास
हाँथ थाम मैं दिखाऊं
नये सपनों के संसार ।
मेरे देश के नौनिहाल
तुम पढ़ो,खिलो,महको
बिखराओ खुशबू नित
नये व्यवहार से ... ।
बढ़ना है सदा तुम्हें
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कहानीबाल कहानी
लघुकथा #शीर्षक
" बस्ते का बोझ"
सर्दियों की दोपहर , अनीता जी लौन में बैठी हुयी मीठी धूप के आनंद ले रही थी। तभी गेट पर स्कूल बस आ कर लगी। जिसमें से
उनका नाती सात साल का बँटू कूदता -फाँदता
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" बयार फागुन की "
मेरे बेटे इन फूलों को तुम
हथेलियों में भर लेना
और मन में विचार। लेना
यह फूल नहीं मेरी चिन्ताएं हैं ।
जब फागुन की बहेगी बयार
और पुष्पधन्वा
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"प्रवासी "
मेट्रो सिटी के वसुंधरा अपार्टमेंट की सोसायटी के दफ्तर में बैठे हुए मिस्टर सिन्हा चिंता मग्न हैं ।
वे अपनी सोसायटी के लिए चौकीदार के विज्ञापन के जवाब में आने वाले आवेदन
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लेखआलेख
संसमरणात्मक कथा
#शीर्षक
"अद्भुत मीठी यात्रा "
मित्रों जैसा कि आप सब जानते हैं " बैलगाड़ी" कतिपय संसार के सबसे पुरानी बैलों के द्वारा खींचे जाने वाली यात्रा के साधन के रूप में जानी जाती है।
आज
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बहुत सुन्दर रचना.. मैंने भी बचपन में पैत्रिक गांव में बैलगाड़ी यात्रायें बहुत की हैं..! बहुत पहले तो गांव की के विवाह में बारात भी अनेक बैलगाड़ियों में जाती थीं. "तीसरी कसम" का उदाहरण भी बहुत उपयुक्त है..!
😊😊 जी सर सुंदर प्रतिक्रिया 🙏🏼🙏🏼
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"संवाद हीनता"
उन दिनों मेरा तबादला मुरादाबाद जैसे छोटे शहर से महानगर मुम्बई हो गया था मैं सरकारी नौकरी में हूँ।
अभी अकेला ही आ गया परिवार का पीछे से आना तय हुआ ।
नयी जगह वह भी मुम्बई
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कविताअतुकांत कविता
चित्र आधारित
#शीर्षक
"हुनर "
जब कहती हूँ
मैं प्यार करती हूँ
तो फिर पूरी संम्पूर्णता से
प्यार करती हूँ ।
दरअसल प्यार करना
भी हुनर है
अपने- आप में ।
मैं प्यार करती
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"समानता "
दिवंगत पत्नी के चित्र के आगे बेबस और लाचार से खड़े हरी जी मन ही मन भगवान् से प्रार्थना कर रहे हैं,
" हे भगवान् मुझे भी छाया के साथ ही उठा लेते तो कम से कम यह दिन तो नहीं देखने पड़ते
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कहानीलघुकथा
लघुकथा # शीर्षक#
"खोया हुआ आदमी"
मैं कंहा जा रहा हूँ ? किस ओर ? यहां कैसे आ गया ? यह मेरे आस- पास कौन सी जगह है ?
वह बुदबुदा रहा है।
उसे इस तरह बुदबुदाते और सड़क पर नितांत अकेले देख कर डॉक्टर सुधाकर
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
लड़कियों के स्त्री बनने तक ... सफर ।
अपने आप में कितनी मशरूफ होतीं हैं लड़कियाँ ।
प्रेम से निर्मित प्रेम से रची , प्रेम में पगी -प्रेम से ही बंधी
कभी पिता के कांधों पर चढ़ मेले में घूमती
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" पूनम की रात "
मीठी सुहानी पूनम की रात
मेरी इतनी गुजारिश है
आज तुम मत जाना मत ...
खामोशियां इतनी है कि उनके
आने की पदचाप साफ सुन रही।
आगे गुम होती गली
साजन के पैरों की आहट
और मेरा धड़कता
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कविताअतुकांत कविता
शीर्षक ...
" खुशनुमा लम्हे "
मैं अपने रचे गीतो के
पंख पर हो कर सवार
बनूँ इनकी मालकिन
और होकर गुलाम...
हुई बादलों पर सवार
बिना लगाम,बिना रकाब
यही ले जाएं मुझे
इन्द्रधनुष के पार...
मन छेड़े तराना जैसे
गुन,गुन,गुन...
जी
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कहानीलघुकथा
लघुकथा ...# शीर्षक
" लवगुरु "
बड़ी -बड़ी कजरारे नयनों वाली २१ बर्षीय रेखा अपने घर के बरामदे वाली सीढ़ियों पर अजीब तरह के कशमकश में डूबी हुयी बैठी है ।
कभी सोच रही है पापा से शिकायत करे फिर कभी
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"भेड़िया "
"आज तो खूब माल मिला है अम्मा के वास्ते दूध का पैकेट भी हो जाएगा"।
कचरे के ढ़ेर से प्लास्टिक चुनती हुई रजनी माथे पर चुहचुहा आए पसीने को मिट्टी सने हाँथ से पोछती हुई सोच रही है।
मुनुआ
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" मेट्रो रेल "
सितंबर की उमस भरी रात ,
समय यही कोई रात के साढ़े आठ बजे । मैं दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली मेट्रो ट्रेन में खड़ा सीट की तलाश में इधर उधर नजर घुमा रहा था ।
पूरी ट्रेन औफिस
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बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना.. पति के निधन के बाद, समाजोपयोगी जीवन जीना.. सामान्य दिनचर्या रखते हुए.. मानसिक मज़बूती को दिखाता है..!
जी आपका बहुत ... धन्यवाद सर 🙏🏼🙏🏼💐💐
कहानीलघुकथा
# शीर्षक
"गजानन के यादों का शहर "
करीब डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से भाग रही ट्रेन धीरे होती हुयी शायद किसी छोटे से स्टेशन पर रुक गई थी।
गजानन ने खिड़की में से सिर निकाल कर पीले रंण के बोर्ड पर
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अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण.. अपने शहर की बात ही कुछ और है..!!
जी सर आपकी प्रतिक्रिया मनोबल बढ़ाती है 🙏🏼🙏🏼
कहानीलघुकथा
# शीर्षक
" कोरोना के दर्द "
पिछले हफ्ते जब से सिस्टर मार्था के पिता जोजेफ की कोरोना से मृत्यु की खबर आई है । मार्था को एक पल भी चैन नहीं मिल पा रहा है ।
अन्त में परेशान हो में वह वार्डन कौशल्या मैडम
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
" धरतीपुत्र "
बहुत ही पवित्र रिश्ता है
धरती से किसान का ।
एक किसान बीज बोता
है जब धरती की छाती
फाड़ कर ।
सूखी धरती और बादलों से
भरे आसमान देख
कब रोता और कब हंसता ?
कोई नहीं देख पाता है ,
सिवाय
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कविताअतुकांत कविता
पितृ दिवस विशेष "बाबूजी" को समर्पित कुछ पक्तियां💐🙏🙏
गृहस्थी के व्यर्थ के काम काज में उलझ कर अन्तिम क्षणों में नहीं पंहुच पाई थी मैं बाबूजी।
मुझे पता नहीं उस क्षण सब कुछ से विदा लेते वक्त आपने
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सुन्दर और ह्रदयस्पर्शी मन के भाव..!
जी सर हार्दिक आभार आपका 🙏🏼🙏🏼
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"प्रेस वार्ता"
"आज तुम्हें दास बाबू ने अपने केबिन में क्यों बुलाया था फिर से शिखा?"
"क्यों पूछ रहें हैं आप "?।
लाचारी में डूबी उसकी आँख में चिंगारी की हल्की लौ जल कर बुझ गई।
" मैंने खुद देखा
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"जंगल के फूल "
पण्डित दीनदयाल अखबार के फ्रंट पेज पर छपी तस्वीर को देख भावमुग्ध हो पत्नी को बोले,
" यह देखिए अपनी " रजनिया " को।
फोटो में कितनी अच्छी लग रही है और उसकी आंखें कितनी चमक रही
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" अक्श की सफेद धुंध "
हौस्टल के पीछे की तरफ बनी घुमावदार सीढ़ी पर बैठी सपना उदास और विह्वल हो अपने दोनो घुटनों में सिर छिपा रखा है।
बड़े दिन की छुट्टियाँ शुरू हो गई हैं। उसकी सारी सहेलियां
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wah talak shuda ghet ke bachcho ki sachchyee kahti kahani
हार्दिक धन्यवाद सर
कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"खोखले रिश्ते "
छोटे से शहर दरियापुर के मनोहर लाल की शादी उनके पिता ने कम ही उम्र में जब वे पढ़ ही रहे थे तभी कर दी थी।
फिर जल्दी ही दो बच्चे भी हो गये।
लेकिन पत्नी शकुन के सयानेपन ,अनुशासन
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" स्मिता आंटी "
सोसायटी के पार्क में बनी बेंच पर बैठी राईमा घोष अपनी फेवरिट आंटी जी स्मिता की बातें सुन मुग्ध हो रही है ।
वे बेहद खुशदिल और समझदार हैं उनसे सोसायटी में लगभग सभी प्रभावित
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बहुत सुन्दर और आशावादी..!
जी आपका बेहद धन्यवाद सर सुंदर प्रतिक्रिया
कहानीबाल कहानी
#शीर्षक
. " दादी के सपने"
यह संयोग ही था कि दादी की मोबाईल की बैटरी रविवार को खत्म हो गई ।
घर के हर सदस्य अपने काम में दिन भर व्यस्त रहते हैं किसी के पास उनके लिए समय ही नहीं बचता है।
सदा की हँसने
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"बादलों से घिरा आसमान "
शहर की भीड़ से दूर नदी के उपर बने पुराने पुल जिसकी बाईं तरफ मंदिर और दाहिने तरफ मस्जिद बने हैं।
बीच में वे दोनों एक दूसरे के हाँथ थामे ठिठके हुए खड़े हैं ।
लड़की की
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"लक्ष्मी एक अनोखा उपहार "
सुतपा के विवाह की पन्द्रहवीं बर्षगाँठ हर बार की तरह आशा और निराशा से भरा दिन जिसकी शुरुआत माँजी के " दूधो नहाओ पूतों फलो के " वाली
हृदय भेदी आशीर्वाद के साथ
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" समय के काले बिंदु"
" बाबू - ओ बाबू उधर चलें "
हुस्न के बाजार में खड़ा इधर - उधर तौलती निगाह से सौदा परख रहा कुमार , सहसा उस कातर पुकार को सुन चौंक गया।
" उधर किधर"?
बेसाख्ता आवाज निकल गई ।
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कहानीलघुकथा
लघुकथा
#शीर्षक
" युद्ध और औरत-"
बाहर धूप और धुएं का स्याह अंबार फैला हुआ है ।
अन्दर साबिया फटी-फटी आंखों से अपनी दोनों बेटियों को देख रही है। उसका मन अनमना हो रहा है ना जाने कब तक ऐसा चलेगा ?
हर
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" तीन-पन्ने "
सन् २०/०२/१६ पृष्ठ संख्या '२१' दिन मंगलवार...
आज बस स्टैंड तक पंहुचने में ही नौ बज गए थे । उस पर से सड़क जाम ,लेट हो ही गई थी।
किसी तरह भागती हुई क्लास में जा ही रही थी कि ऐवसेंट मार्क
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बहुत भावपूर्ण और ह्रदयस्पर्शी..!
जी आपका बेहद आभार सर आपकी प्रतिक्रिया मनोबल बढ़ाती है 🙏🏼
कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"बेचारगी "
पूरे दो दिन बाद लौटी है वसुधा उसका सारा जिस्म तार-तार हो रहा है शरीर क्षीण, जैसी लम्बी बीमारी से उठी है वह अन्दर आ सोफे पर लेट गई ।
छोटी बहन शुभदा उससे लिपट गई और मां बांहो में
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" नई रोशनी"
सुबह से ही रमिया को उल्टी करती देख कुसुम को शक हुआ उसके हाँथ पकड़ कर ,
" यह क्या रमिया किसका पाप है " ?
रमिया गिड़गिड़ाते हुए,
" अम्मा पाप तो मत कहो जे तो जावेद को वारिस है "
" ओ अच्छा
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" कैदी नं ५०२ "
ठन ठन ठन... कैदी सेल की छड़ पर हवलदार के डंडे की आवाज सुन
जेल की दीवार से टेक लगा कर बैठे दीनदयाल बाबू अतीत में विचर रहे थे ,
" पिछवाड़े बित्ते भर की जमीन पर लगा
आम का पौधा अब विशाल
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"टाईम मशीन"
निरहंकारी धरणीधर बाबू इस समय यमलोक के द्वार पर हतप्रभ खड़े हैं । उनकी मृत्यु आज ही धरती पर एक बच्चे को बचाने में हुयी सड़क दुर्घटना में हुई है।
जीवित रहते हुए उन्होंने अनेक
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" बीजारोपण "
नागेश्वर कौलनी का क्वार्टर नम्बर २०१ जो हरदम टिंकू और उसके साथियों की खेलकूद से गुंजायमान रहता था।
अब वहाँ मनहूस सा सन्नाटा पसरा रहता है।
टिंकू की माँ पेट से थीं। पिछले
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" विचित्र प्रेम "
इन दिनों जगहंसाई के डर से हर समय हेमंत की आंखों में एक कातर वेदना छाई रहती उसका भेद खुल ना जाए इस डर से।
क्योंकि अब उसकी बात निजी ना रह कर जग जाहिर हो चुकी है।
मैं और
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" कड़ी धूप में घना साया " अंक २
वीरेन सुबह नौ बजे ही दफ्तर निकल जाते और रात गये वापस आते इधर बच्चे स्कूल चले जाते वह सारे दिन बालकनी से उनके आने के इंतजार में बैठी घर के काम निपटाने में लगी
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कहानीसामाजिक
नियमित स्तंभ दिए गये विषय "कागज के फूल" के अन्तर्गत
प्रतियोगिता से इतर...
#शीर्षक
"कड़ी धूप में घना साया"
शिखा अक्सर अपनी बालकनी से उन अर्धसफेद बालों वाले बुजुर्ग को उनके कौटेजनुमा घर से निकल
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कहानीसामाजिक
# शीर्षक
" मुकाबला "
सांवली-सलोनी और घनेरी जुल्फों वाली चांदनी ने जब से देखना शुरू किया है ।तभी से कदाचित सोचना भी प्रारंभ किया है ।
इस वक्त वह हौस्टल की सीढियों पर बैठी अपनी दोनों हथेलियों
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
"ईर्ष्या बनी औजार"
अंधेरी रात। साढ़े आठ के करीब बिहार प्रांत के किसी शहर के पास किसी कस्बे में जहाँ शाम में ही रात का सन्नाटा पसर जाता है।
आवाज आ रही है एक सफेद रंग से पुते चार कमरों वाले
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कहानीलघुकथा
# शीर्षक #
" वैलेंटाइन डे स्पेशल अवरोध "
अनुजा और शाश्वत कौलेज में साथ पढ़ते हुए कब एक दूसरे की ओर आकर्षित हुए यह खुद उन्हें भी मालूम नहीं ।
शाश्वत का तो पता नहीं पर अनुजा इससे अच्छी तरह वाकिफ है
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
" धूप के आर-पार"
" माफ करो ! मुझको माफ कर दो !"
डरी और घबराई हुयी आवाज में बोल रहे हैं परेश जी।
जैसे आग भभक उठने पर जिसे जो भी हाँथ आता है उसी को लपक कर दबाने का प्रयास करता है ठीक वैसे ही गरिमा
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
" और भी हैं राहें"
पहले की तरह ही अब भी प्रतिदिन सूर्य सुबह नियमानुसार उगते हैं और साझं में अस्त हो जाते हैं।
जबकि शिप्रा भी अपनी परिस्थितियों से समझौता कर आगे बढ़ चुकी है जीवन में।
चार कमरे
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कहानीप्रेम कहानियाँ
विषय आधारित रचना
#शीर्षक
महजबीं बाई ...
फागुन की होली का प्रातःकाल अपने आलीशान घर के छत पर अकेले खड़े अधेड़ उम्र धरणीधर जिनके सिर के दो - चार बाल पक गए हैं सिवाय इसके उनके लम्बे चौड़े शरीर में जरा
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बहुत अच्छी.. मर्मस्पर्शी रचना
जी हार्दिक धन्यवाद सर 🙏🏼
कविताहाइकु
पर्यावरण दिवस विशेष ( हाईकू)
१) मन है मेरा
बहुत विकल
नहीं जानती क्यूँ
२) बाह्य जगत में
मचा हाहाकार
अंदर भी वीरानी
३) दिखती अपूर्व शांती
अंतस मचा शोर,
या खुदा ये मंजर ?
४) प्रकृति
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कहानीलघुकथा
"नैतिकता" आधारित लघुकथा
#शीर्षक
"आधा मुनाफा"
चुनावों का मौसम आ रहा है।
विरासत में मिली नेतागिरी संभालते हुए वृजबासी जी इन दिनों काफी व्यस्त चल रहे हैं।
पिता हरिहर बाबू आजीवन एक क्षेत्र विशेष
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अच्छी रचना
🙏🏼🙏🏼 सर आपकी प्रतिक्रिया मेरे मनोबल बढ़ाती है
कहानीसामाजिक
#शीर्षक
विपन्न तिथियाँ ...
पूरे पाँच भाई-बहनों एवं बाबा-दादी से भरा-पुरा संयुक्त परिवार था हमारा।
पिताजी मुख्य सचिवालय में कलास टू एम्प्लाइ थे।
मैंने जब से होश संभाला। हमेशा ही अपने पिता को
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अत्यंत सुन्दर और भावपूर्ण..! बरबस पिता जी की याद दिला गयी..! वे दर्शाते नहीं थे किन्तु बहुत प्यार करते थे..! सुन्दर लेखन 👌👍🙏🙏
जी आपका बेहद आभार सर 🙏🏼🙏🏼मनोबल बढ़ाने हेतू
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
"आशा की किरण"
बन्द खिड़की की बारीक दरार से छन कर आती धूप देख नन्ही आसमा आँख गड़ा कर बाहर बाजार में फैले हुए सन्नाटे को देख मायूस है ।
सुबह की ताजी हवा , नर्म धूप और खिले गुलाब के पीछे की वादियों
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कहानीलघुकथा
पर्यावरण दिवस विशेष लघुकथा
#शीर्षक
"बरगद का पेड़"
ट्रिन-ट्रिन , ट्रिन-ट्रिन
" शिखा जल्दी घर आ जाओ बाबूलाल फिर सदल-बल आया है "
बाबा की मर्माहत आवाज सुन शिखा रूआंसी आवाज में...,
"क्या? क्या कहा बाबा
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कहानीलघुकथा
प्रस्तुत है लघुकथा
#शीर्षक
टूटी सगाई ...
अस्पताल के बेड पर लेटी हुई शुभ्रा लाचार कातर दृष्टि से मां की ओर देख रही है।
जिनकी आंखों में उसके मंगेतर सुधीर द्वारा सगाई तोड़ दिऐ जाने का दंश साफ नजर रहा
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अच्छा ही हुआ कि सुधीर का असली चेहरा. सामने आ गया.
जी हार्दिक धन्यवाद सर
कहानीप्रेरणादायक
#शीर्षक
दोजख़ सी हवेली...
"नानी उठिए... , उठिए... ना... यह क्या बड़बड़ा रही हैं?
आप मुझे कुछ नहीं समझ में आ रहा है"।
"नहीं... नहीं...इसे मत ले जाओ इसे छोड़ दो,
कातर आवाज में उँहँ ...उँहँ..." की आवाज में गिड़गिड़ाती हुई
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कहानीलघुकथा
प्रस्तुत है लघुकथा ...
#शीर्षक
आगे की राह ...
मेडिकल के अन्तिम वर्ष की फेयरवेल पार्टी पूरे जोर- शोर से चल रही है ।
इस शोर-शराबे से दूर हौल के एक कोने में बिजली की झलमल करती रौशनी में लगी मेज पर डौक्टर
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
आस्था श्रम में ...
सच है जिनके घर छूट जाते हैं , पूरी धरती उनका घर हो जाती है
घर से तिरस्कृत हो बाहर निकली सुलेखा को एक पल के लिए समझ में नहीं आया कि वह आखिर कहाँ जाए ?
एक वक्त था जब पूरे घर
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मर्मस्पर्शी.. सुन्दर और प्रेरक रचना.!!
जी आपका बेहद आभार 💐💐
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
धूल वाली लड़की ...
विगत चार वर्षों से चल रहे हेमा के अनवरत इंतजार की घड़ियां समाप्त होने को हैं ।
यों तो उसका कोई रिश्ता तरुण के साथ नहीं पर क्या करे वह अपने दिल के हाथों मजबूर जो है ।
तरुण
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कहानीलघुकथा
शीर्षक
जिंदगी की मुस्कान ...
आज अदीति और उनके पति जी सुधीर बेहद खुश हैं उनके इकलौते होनहार बेटे ' सौरव ' के विवाह का तीसरा दिन था । सारा घर नाते रिश्तेदारों से भरा हुआ है ।
अदीति ने आज सत्य नारायण
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वाह,वाह बहुत सुंदर पंच लाइन,"बहुत कुछ पीछे छोड़ आई है",वाह!
जी आपका हार्दिक धन्यवाद मैम
कहानीसामाजिक
शीर्षक
सार्थक दाम्पत्य ...
अनुराधा तीन बहनों में सबसे छोटी है और इसी वजह से पिता की दुलारी भी ।
बड़ी दो बहनों के विवाह जल्दी ही सम्पन्न हो गए और अब तीसरी अनुराधा के विवाह की बात पत्नी द्वारा छेड़ने
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कहानीसामाजिक
#शीर्षक
विम्मो बूआ ...
विम्मो तो हम उन्हें प्यार से बुलाते हैं उनका पूरा नाम था विमला ।
जब कभी मैं जाड़े के दिनों मे हौस्टल से घर वापस आती वे अम्मा के कहे अनुसार अंगीठी सुलगा कमरे में रख जाती
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
चिर कुमारी... समापन अंक ...
कल आपने पढ़ा पीऊ कालेज की पढ़ाई के लिए बाहर चली गयी है अब आगे ...
जबकि मैत्री वर्दवान में ही रह गई थी ।
शुरू में उसके और अशोक दा के समाचार मिल जाया करते
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यह सत्यकथा लग रही है सच कहूं। तो लग रहा है कि इस कथा पर अभी और काम की जरूरत है। इसे और कसकर निखारने की जरूरत है। प्लाट बेहतरीन है। समय मिले तो इसे थोड़ा समय और दीजियेगा। 😊🙏🏻
जी हार्दिक धन्यवाद आपका और आपकी पकड़ का ।विशेष क्या ही कहना ,कहानियां तो हमारे आस-पास ही बिखरी होती हैं आवश्यकता है बस उन्हें सहेजने की। हाँ और समय देने की बात तो मनगढ़त हो जाएगी नेहा जी फिर उसमें वह आनंद कहाँ मिलेगा ?अब जो कंही देखा वही थोड़े उतार चढ़ा से पन्नों पर उतार दिया 😀🙏🏼
कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक
चिरकुमारी...कल्याणी राए 💐💐
अंक ५
मित्रों कल आपने पढ़ा समीरा और नन्हीं पीऊ को छोड़े राघव विदेश की राह पकड़ लेता है ।
आज सुनते हैं पीऊ की कहानी उस की जुबानी ...
मैं जब बहुत छोटी
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आपकी लेखनी बहुत अलग है कहानी इस प्रकार भी लिखी जा सकती है। यह पहली बार जाना। बहुत सुंदर जा रही है कहानी अब अगले भाग का इंतज़ार है।
वास्तविक की धरातल पर है आपका बेहद शुक्रिया नेहाजी
ओह इतनी अच्छी प्रतिक्रिया नेहा जी कल्पना नहीं की थी लेकिन यह तो वास
कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
मां ऐसी ही होती है ...
माँ तुम ऐंटीबायोटिक दवा की गोलियों सी।
मेरे हर दुख-दर्द में तुरंत असर करती हुयी ।
माँ वे भी क्या दिन थे ?
जब तुम्हारी ममता की छांव में
मुझे अपने होने का अहसास पहली
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कहानीप्रेम कहानियाँ
#शीर्षक #
चिरकुमारी ...
अंक ४
कल आपने पढ़ा
कल्याणी आश्वस्त है पीउ के प्रति अब आगे ...
मैं पीऊ और मेरी बचपन से ही अन्तरंग सहेली मैत्री ,
एक ही स्कूल में साथ-साथ पढ़ते हुए नवीं कक्षा पास कर जब
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कहानीप्रेम कहानियाँ
# शीर्षक #
चिरकुमारी... कल्याणी राए 💐💐
भाग ...३
सरकारी बंगले के बरामदे में रखे आराम कुर्सी पर बैठ कल्याणी राए ने पीछे सर टिका लिया ।
पीऊ के हाते से बाहर निकल चुकी है।
आखें बन्द करते ही
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कहानी बहुत सुंदर जा रही है।
जी आपका बेहद धन्यवाद
जी आपका हृदय से धन्यवाद नेहा जी
कहानीप्रेम कहानियाँ
लम्बी कहानी ...
#शीर्षक
चिरकुमारी ... अंक २
कल आपने पढ़ा कल्याणी राए अपने बरामदे में बैठी बात-चीत में मशगूल हैं अब आगे ...
कल्याणी मासी और उनकी जिन्दगी की जद्दोजहद से सर्वथा अनभिज्ञ पीऊ दूध
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कहानीप्रेम कहानियाँ
छह अंको में समाप्य लम्बी कहानी
#शीर्षक
चिर-कुमारी ... कल्याणी राए 💐 अंक १
कलकत्ते मेंं जुलाई की उमस भरी शाम कल्याणी अपने चार कमरे वाले विशाल सरकारी क्वार्टर की छत पर खड़ी सामने पसरे सन्नाटे
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कहानी का पहला भाग ही शानदार है 👌🏻
जी हार्दिक धन्यवाद आगे पढ़ें और भीअच्छी लगेगी लगेगी
कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
स्त्री हूँ मैं पर अबला नहीं ...
प्रेम- दया -करूणा से भरी सबला हूँ
मोह की मीठी भावना में अविचल
बहती नदी चपला हूँ पर अबला नहीं हूँ...
मैंने खुद चाहा था तुम्हारी बेड़ियों में बंधना
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बहुत सुंदर
जी आपका बेहद आभार
हार्दिक धन्यवाद शिवम राव जी 🙏🏼
कहानीलघुकथा
#शीर्षक#
फूलवाली लड़की...
रोज शाम पांच बजे घर से निकल नीरजा रोड के उस पार वाले फूल की दुकान से अपनी व्हील चेयर पर आश्रित बिटिया रिम्मी के साथ जा कर फूल खरीदना नहीं भूलती है ।
यों की
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कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
ठानी है हमनें...
हम पृथ्वी के खुशदिल प्राणी ऐसे कभी न थे बेचैन ये
किस साजिश के तहत तुमने जकड़ ली हमारी खुशियां
शुष्क हवाएं, तपती धरती ,बीच-बीच में करुण- रुदन
बस अब बहुत हो गया कोरोना गो
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कहानीलघुकथा
#शीर्षक
भरोसा शेरावाली पर ...
बेटे अरुण का फोन आने के साथ ही कुसुम ऐसी कठिन परिस्थितियों में घिरी है जिससे निकलने की कोई राह नहीं नजर आ रही , उस पर से पति साहेब को संभालने की जिम्मेदारी भी आन पड़ी
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अच्छी रचना मगर जाने क्यों अधूरी लगी। अगर इसमें अरुण को ठीक होते दिखातीं तो मेरे ख्याल से ज्यादा ठीक लगता
होना ही दर्शाना था 🙏🏼🙏🏼
जी दिल से धन्यवाद अंकिता आपका सुझाव स्वागत योग्य है ।दरअसल यह सत्य कथा ही है और लिखने के पीछे मंशा है साहेब के कर्मकांडी न होते हुए भी ईश्वर पर अटूट विश्वास
बहुत खूबसूरत सुनहरे फ्रेम में जड़ी वह मेरे सामने खड़ी थी।
जी दिल से धन्यवाद नेहा जी 💐💐
बहुत खूब पर यह आधी है क्या?
नहीं नेहा जी बस यूं ही कुछ छोटे से अहसास हैं 😊😊
कविताअतुकांत कविता
#शीर्षक
हाशिए पर सैनिक ...
डटे रहो तुम वीर जवान
पीछे हम मां भारती के संतान
चाहे कितना भी हो अत्याचार
नहीं हो जाना तुम लाचार
रेत के उठते बवंडर में
नाव उलटी -हवा पलटी
वोट क्लब पर मांगते वोट
घड़ियाल
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वीर जवानों की कठिनाईयों का हम अनुमान ही लगा सकते हैं।
जी हार्दिक धन्यवाद वह भी जब सामना अपने देश के नागरिकों से हो तब और भी बुरा लगता है
bahut khub. picture aapne superb lagayi hai rachna par ekdam fit 👌🏻
जी सराहना हेतु हार्दिक धन्यवाद नेहा जी
कहानीप्रेम कहानियाँ
लघुकथा
#शीर्षक #
सुहानी प्रेमिल शाम...
फरवरी का महीना चारो तरफ वासंती बयार बह रही है तन्मय अपने कौलेज की तरफ से जानेवाले हिस्टोरिकल टूर पर राजस्थान गया है ।
जहाँ तीसरे दिन वे सब रणथंभोर घूमने
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मन को छूती हुई सी कहानी ❤️
स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद नेहा जी
कहानीलघुकथा
#शीर्षक
हवेली की ठकुराइन...
बड़का गांव के ठाकुरों की बड़ी बहू राजलक्ष्मी यद्यपि कि निसन्तान है ,
फिर भी झिझक से भरी पूरे गांव में घूंघट में घिरी नहीं रहती है वरन् पुरुषार्थ से भरी पूरी हवेली की मजबूत
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बेहतरीन राजलक्ष्मी जैसी औरतें अपने देश में भी हो जाये तो किसी कैलाश को अनाथ आश्रम या कोई दुख न भोगना पड़े।
दिल से धन्यवाद नेहा जी
कहानीअन्य
समापन अंक # शीर्षक
सिंदूरी शाम
वह सिंदूरी शाम अब धीरे -धीरे धीरे रात की ओर बढ़ रही थी । आज शायद पूर्णिमा की रात थी तो स्वच्छ - निर्मल चांदनी फैलने लगी थी । यद्दपि वहां बिजली नहीं होने के कारण अंधेरा
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