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ललायित हूं मैं - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

ललायित हूं मैं

  • 150
  • 4 Min Read

कलियो से जो फूल खिले
उसे तोड़ने के लिए, लालायित हूँ मै
पन्ने उधेड़ दिए है जो किताबो से मैने
उसमे कुछ छिपाकर लिखने के लिए , लालायित हूँ मै

ख्वाबों की मिट्टी जो खोदी है मैने
उसमे कुछ यादे बोने के लिए, लालायित हुँ मै
उसमे पानी पड़े या न पड़े
कैसा है? यह देखने के लिए, लालायित हूँ मैं

आसमां से ओझल हो गया जो तारा
मानो आलिंगन कर रहा हो मेरा
छिपा है किसी के पिछे दुबक कर
बादल है या दिनकर
यह जानने के लिए, लालायित हूँ मैं

सूरज की हर पहली किरण को
अपनी छवि मे बटोरने के लिए, लालायित हूँ मैं
आत्मा सोई हुई हो तो क्या?
किरणों का पहला कदम हो जिस तरफ
रुह के उस कोने को जगाने के लिए, लालायित हूँ मैं

— शिवम.राव मणि

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SHAKTI RAO MANI

SHAKTI RAO MANI 3 years ago

बहुत सुंदर भाई

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना..! वैसे शायद' लालायित और आलिंगन' '' सही शब्द हैं

शिवम राव मणि3 years ago

जी शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद आपका

प्रपोजल
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