कवितानज़्म
*******"""नज़्म"""*******
सोचता हूँ जब
अपनी खताओं को
तो दिल की धड़कनों के साथ साथ
कुछ खोने का मलाल होता है।
जब, सब भूलने की कोशिश करता हूँ
तो एक बीता लम्हा
सामने आकर
कई बेचैनियां उठा देता है।
या फिर कभी,
छोटी छोटी खुशियों के पीछे
ज़िन्दगी की तिश्नगी में
जब खुद को छुपाना चाहता हूँ
या कभी,
कहीं दूर चले जाना चाहता हूँ
एक चेहरे से,
तो एक लगाव
मुझे वहीं ला देता है
जहाँ तुम हो
तुम्हारा एहसास है
और एक सवाल भी
जिसके जवाब में
खुद से बार बार मैं
सिर्फ यही कहता हूँ
कि मैं बेवफा तो नहीं।
©शिवम राव मणि