नज़्म
कठिन वक्त
छोटी छोटी खुशियों के दरमियान
क्यों चला आया है?
पल भर में आता है
पल भर में जाता है
पहले उसके आने की आहट
आहिस्ते आहिस्ते होती है
फिर अचानक ही सामने आ जाता है
सम्भलने का मौका भी नही देता,
फिर एक तेज झोंके के साथ
वो छूकर गुज़र जाता है।
तब उस दौरान
जब वह छूता है
तो उसकी अनुभूति
किसी रेगिस्तान में
प्यास की आखिरी चाहत जैसी होती है
पर वह जब छूकर गुज़र जाता है
तो उससे मीले घाव
किसी को बताने से बयां तो नही होते
वो तो बस महसूस किये जा सकते हैं
हो सके तो भुलाये भी जा सकते हैं
लेकिन तब तक
जब तक खुशियां अपना दामन समेट न लें
बस तब तक।
शिवम राव मणि