Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ऐ! मेरे साए - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

ऐ! मेरे साए

  • 171
  • 2 Min Read

ऐ! मेरे साए
तू किसको साया देता है?
कभी तन को छोड़
कभी मुझसे लिपट
खोए मुझमे इस तरह
सन्ध्या की ललित
एहसास भी है अब कुछ छुअन का
किरणें झलकाती मेरी आकृति

आकृति की विवश मायूसी
छोड़े जब जग का मोह
प्राण का शरीर से नाता सब
खत्म होता है अग्नि में जलकर
अस्थियाँ बनाती राख की कृति
क्या तू इसमें नव प्राण भरता है?
ऐ! मेरे साए
तू किसको साया देता है?
-शिवम राव मणि

PicsArt_08-31-06.27.56_1598835756.jpg
user-image
Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

चैतन्यपूर्ण

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया सर

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत खूब

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

bahut sundar

शिवम राव मणि3 years ago

जी धन्यवाद आपका

SHAKTI RAO MANI

SHAKTI RAO MANI 3 years ago

मस्त भाई जी

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद भाई जी

वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
तन्हाई
logo.jpeg
प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg