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एक चेहरा नजर आया - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितालयबद्ध कविता

एक चेहरा नजर आया

  • 244
  • 5 Min Read

~~~~एक चेहरा नजर आया~~~~

हदों की हद लकीरें, लाँघनी कितनी आसान थी
लाँघकर देखा, तो एक चेहरा नजर आया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कोई टोके मुझे इस तरह, कोई रोके मुझे इस तरह
कि जुबान भी खुली और मैं खुद भरमाया

किसी के साथ दो टूक तो किसी के साथ बेतूकी
इल्जामों में घिरा, तो एक चेहरा नजर आया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

किसी का स्नेह भी इतना है मेरे मोह से
वो कहे तो भव की साँची, मैं कहूँ तो इच्छाओं की काया

लिपटा हूँ आज तुम्हारे प्रेम के सम्बल पर
जरा अजमाइश को छोड़ा, तो एक चेहरा नजर आया
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परेशानियों में उलझकर, जब मेरी बोखलाहट तरसी
कि यूँ मेरी आवाज उठी और मैं चिल्लाया

तब एक डरा सहमा-सा, मुझसे दूर जाता हुआ
उस मासूम का खफा, तो एक चेहरा नजर आया
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अब खुद को पिरोये बैठा हूँ, तुम्हारी खामोशी में
एक खिलखिलाहट भी सुनी, तो खुद को सँभाल न पाया

हदों की हद लकीरें, लाँघनी कितनी आसान थी
लाँघकर देखा, तो एक चेहरा नजर आया
– शिवम राव मणि

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Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रया आपका

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

निःशब्द कर दिया

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद

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