कहानीसस्पेंस और थ्रिलर
शशि को सामने देख राज एक दम दंग रह जाता है वह डरकर पीछे हट जाता है और उसे घूरने लगता है ।
" तुम्हे डरने की कोई जरूरत नहीं मैं तुम्हे गिरफ्तार करने नहीं आया बल्कि तुम्हारे साथ एक डील करनी है।"
" डील करने का यह कोई वक्त नहीं है। तुम मुझे दिन में भी तो मिल सकते हो"
" ये इतना आसान नहीं है। मैरे और तुम्हारे ऊपर नजर रखी जा रही है इसलिए यही समय ठीक है"
" तुम्हे क्या डील करनी है"
" क्या तुम्हे पता हैं कि धीरज ने क्यूं तुम्हे ऑक्सिट ग्रुप का हेड बनाया और आखिर क्यूं वो एक नए ग्रुप एस्कॉर्ट ग्रुप का गठन कर रहा है?"
१ मिनिट यह फैसला तो अभी लिया गया है ये सब तुम्हे कैसे पता ,क्या तुम भी वहां मौजूद थे?"
" हां भी और ना भी ,मेरा एक आदमी तुम्हारे ग्रुप में पहले से मौजूद है मुझे सब राज पता है राज!
" कैसा राज?"
" धीरज तुम्हारा इस्तेमाल कर रहा है वो तुम्हे अपने रास्ते से हटाना चाहता है इसके लिए तुम्हे ऑक्सीट ग्रुप का हेड बनाया जिससे उस ग्रुप कि सारी जिम्मेदारी तुम्हारे ऊपर आ जाए और अंत में अपने सारे कुकर्म तुम्हारे ऊपर थोप कर तुम्हे जेल भिजवाकर खुद को बचा सके और उसके बाद एक नए ग्रुप को बनाकर वह सारे धंधे जारी रख सके।"
" लेकिन कैसे मेरे साथ इस ग्रुप में बहुत लोग जुड़े हैं"
" उसको फर्क नहीं पड़ता उसको यह काला कारोबार विरासत में मिला है ,इसी धंधे के चलते उसने अपने करीबियों कि भी निगल लिया"
" तो फिर मैं क्या करूं? मैं तो यह ग्रुप छोड़ना चाहता हूं।"
" तुम फस चुके हो अगर ग्रुप छोड़ा तो तब भी मरोगे , इसलिए मैं डील करने आया हूं । तुम मुझे धीरज तक पहुंचाओ, उसके काले कारनामों के सबूत मुझे लाकर दो और मैं वादा करता हूँ कि तुम्हें कुछ भी नहीं होगा"
" क्या तुम मुझे बचाना चाहते हो"
" नहीं पर शायद यही तुम्हारी किस्मत है।"
" ठीक है मैं डील करने के लिए तैयार हूं "
अगली सुबह राज देर से उठता है वह अपने मन में उमड़ रही बातों को अपनी पत्नी से साझा करता है, कल्याणी उसके हेड बनने पर खैद जताती है और इस काम को छोड़ने के लिए जिद्द करती है, राज उसे समझाता है कि वह कुछ मामलों में फसा हुआ है जिसके चलते वह कुछ कर नहीं सकता , कल्याणी धीरे से उसकी बातो को मान जाती है। राज कल्याणी को सांत्वना देता है और जरूरी काम से बाहर जाने को कहता है। राज कोई साफ सुथरी सर्ट तलाश करता है तो कल्याणी उसे कपड़ों के ढेर में से एक सर्ट निकालके देती है और याद दिलाती है कि उसे कपड़े धुलाई के वक्त एक कागज का टुकड़ा मिला था, जिसके पानी मे गीला होने की वजह से धूप में रखा है।
राज़ आंगन में जाकर धीरे से पत्थर में दबे कागज़ को उठाता है। उसमें एक घर का पता और जल्दी से मिलने के लिए लिखा होता है, उसे याद आता है कि धीरज ने उसे यह कागज़ एक अनजान पैकेट से निकाल कर दिया था,वो उसे रख लेता है और अंदर आ जाता है।
देर दुपहरिया में दरवाजे पर एक जोर सी खट-खट राज को नींद से उठा देती है। दरवाजा खोलता है तो ऑक्सिट ग्रुप का ही मेंबर बाहर खड़ा रहता है।
" क्या हुआ तुम इतने परेशान क्यूं हो"? राज़ ने पूछा
"राज …. धीरज… धीरज को किसी ने मार दिया"
जारी है....