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यथार्थ रूप भाग 7 - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

यथार्थ रूप भाग 7

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इच्छाएं, किसी के जीवन को ख़त्म नही करती
ये तो सबूत हैं हमारी मौजूदगी का
एक ऐसी दुनिया में
जहां कई लोग
अपनी आँखों पर पट्टी बांधे हुए
झुक रहे अपने कन्धों पर
कई तिश्नगी को लादे हुए चल रहे हैं,
वो लड़खड़ाते हैं, गिरते हैं
वापस उठते हैं, ठोकर खाते हैं
और फिर गिर जाते हैं
पर वो आगे बढ़ना नही छोड़ते,
ये कोई हिम्मत की मिसाल नही
बल्कि कुछ चाहतों की नुमाइश है
जिन्हें अपनाकर इंसान
अपने जीवन को जीवन
और खुद को जीवित समझ बैठा है।

शिवम राव मणि

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