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वो अदीब इकबाल कहीं रह गया - शिवम राव मणि (Sahitya Arpan)

कवितागजल

वो अदीब इकबाल कहीं रह गया

  • 270
  • 3 Min Read

आते आते एक ख़्याल कहीं रह गया ।
कुछ ना कहने का मलाल कहीं रह गया।

ढूंढती है निगाहें उसे अब भी वहीं,
आने वाला फिलहाल कहीं रह गया।

पूछेंगे क‌ई हाल बदहाल तुम्हारा,
मेरा भी एक सवाल कहीं रह गया।

दिए हैं वक्त ने क‌ई ईल्म मुझे,
इक तुम्हारा मिसाल कहीं रह गया।

खोया बहुत कुछ पर यादें ना खोई,
वो अदीब इकबाल कहीं रह गया।

खामोश हूं तन्हा अब चलते चलते,
हर मोड़ का कव्वाल कहीं रह गया।

एक पल में सिमटकर, उम्र गुज़री 'मनी',
बीते दौर का ज़माल कहीं रह गया।

© शिवम राव मणि।

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SHAKTI RAO MANI

SHAKTI RAO MANI 3 years ago

bHut sahi

Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

बढ़िया

शिवम राव मणि3 years ago

शुक्रिया

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

वाह बहुत खूब

शिवम राव मणि3 years ago

धन्यवाद आपका

प्रपोजल
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