कवितागजल
आते आते एक ख़्याल कहीं रह गया ।
कुछ ना कहने का मलाल कहीं रह गया।
ढूंढती है निगाहें उसे अब भी वहीं,
आने वाला फिलहाल कहीं रह गया।
पूछेंगे कई हाल बदहाल तुम्हारा,
मेरा भी एक सवाल कहीं रह गया।
दिए हैं वक्त ने कई ईल्म मुझे,
इक तुम्हारा मिसाल कहीं रह गया।
खोया बहुत कुछ पर यादें ना खोई,
वो अदीब इकबाल कहीं रह गया।
खामोश हूं तन्हा अब चलते चलते,
हर मोड़ का कव्वाल कहीं रह गया।
एक पल में सिमटकर, उम्र गुज़री 'मनी',
बीते दौर का ज़माल कहीं रह गया।
© शिवम राव मणि।