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कविता जन्म लेती है तब,जब - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

कविता जन्म लेती है तब,जब

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कविता
जन्म लेती है तब, जब
कोई निर्धन बालक शहर के जगमग पथ पर
भूख से बिलखता है अत्यंत।।

कविता
जन्म लेती है तब, जब
कवि करता है यह महसूस कि
संवेदना न केवल सजीव प्राणियों में
होती है, बल्कि निर्जीव प्राणियों में भी
संवेदनाएं होती है मौजूद।।।

कविता
जन्म लेती है तब, जब
कवि परहित के लिए होता है चिंतित,
बहुत व्याकुल।।

कविता
जन्म लेती है तब, जब
हवाएँ बहकर बहुत दूर
भेज देती हैं गरीब की झोपड़ी को।।

कविता
जन्म लेती है तब, जब
एक निर्धन धनाभाव के कारण
मन भर आँखों से आँसू बहाता है।।

कविता
जन्म लेती है तब, जब
बेटियाँ कुल का नाम रोशन करती हैं
बेटे कुल को गौरान्वित करते हैं
नारी का सम्मान करते हैं।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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