कविताअतुकांत कविता
वो नारी ही हैं जो
सहन करती है असहनीय कष्ट
चाहती है परिवार की ख़ुशी हर वक्त
बच्चों की ख़ुशी के लिए करती सर्वस्व समर्पित।।
वो नारी ही हैं जिसके
हिस्से में कभी भी किसी दिन छुट्टी नहीं है
परिवार का हर काम हर दिन करती है
परिवार के हर सदस्य का ख़्याल रखती है।।
वो नारी ही हैं जो
असहनीय दर्द सहनकर
बच्चों को जन्म देती है और
अंतिम साँस तक बच्चों की सेवा करती है।।
वो नारी ही हैं जिसके
हिस्से की सारी ख़ुशियाँ बच्चों के लिए है
ख़ुद का सर्वस्व करती है समर्पित बच्चों को
आए न कोई मुश्किल बच्चों के ऊपर यही सोचती है।।
©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित