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माँ - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

माँ

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माँ तू तो प्रेम की मूरत है
माँ तेरी अच्छाई का
बयां शब्दों के माध्यम से
कर पाना सरल नहीं है
हाँ माँ अपनी खुशी न्योछावर कर
सदा बच्चों को खुशी
प्रदान की है तुमने।।

माँ ख़ुद तू सहती है
असीमित पीड़ा पर
अपनी संतान को तनिक भी
आभास न होने देती है तू पीड़ा
सच में माँ तेरी
अच्छाई तेरी उदारता का व्याख्यान
शब्दों में कर पाना सरल नहीं।।

माँ सचमुच तू ईश्वर का रुप है
तभी तो हर दुख और सुख
में तू सदा साथ निभाती है
ममत्व की मूरत है तू
माँ तुम-सा इस जहां में
कहाँ और कोई है
सच में माँ तेरी परिभाषा
शब्दों के माध्यम से व्यक्त
कर पाना सरल नहीं है।।

माँ तू तो ईश्वर से भी
करती है हर पल प्रार्थना कि
मेरे पुत्र के हिस्से का सब
दुख हे ईश्वर आप कर दीजिए
समर्पित मुझे, हाँ माँ!
तू तो त्याग और तपस्या की मूरत है
हाँ माँ
अपनी संतान के प्रति तेरे प्रेम स्नेह
के विषय में शब्दों के
माध्यम से व्यक्त कर पाना सरल नहीं है।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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