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स्त्री कमज़ोर नहीं होती है - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

स्त्री कमज़ोर नहीं होती है

  • 816
  • 6 Min Read

स्त्री को कमज़ोर समझने की भूल
है सबसे बड़ी भूल
स्त्री कमज़ोर नहीं
स्त्री होती है बेहद मजबूत
स्त्री हर असंभव कार्य को
संभव कर सकती है
इसमें किंचित भी संदेह नहीं है।।

स्त्री को बेकार समझने वाले
इस दुनिया के सबसे बड़े मूर्ख हैं
स्त्री न केवल घर-परिवार
अपितु संपूर्ण जगत को
सुव्यवस्थित तरह से संचालित
करने की क्षमता स्वयं के
अंदर मौजूद रखती है।

स्त्री को प्रताड़ित करने वाले
स्त्री को बेइंतहा कष्ट देने वाले
कभी ख़ुश नहीं रहते हैं
उन पापियों को मृत्यु भी
जल्द गले नहीं लगाती है
वे मरते हैं तड़प-तड़पकर
सिहरता है उन पापियों का रोम-रोम।।

स्त्री को भोग की वस्तु समझने वाले
होते हैं सबसे बड़े अभागे
स्त्री की महिमा का वर्णन
देवतागण से भी है बेहद मुश्किल
देवता भी पूजन करते हैं स्त्री का
शायद इस बात से अनजान होते हैं
कुछ इंसान जो हैं इस धरती के बोझ।।

स्त्री ताउम्र ख़ुद से अधिक
अपने परिवार से प्रेम करती है
स्त्री संपूर्ण जगत को
एक नवीन रुप देने की क्षमता रखती है
स्त्री को यदि न बाँधा जाए
बेवजह के बंधनों में तो
स्त्री हर असंभव कार्य को कर सकती है संभव।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Mr Perfect

Mr Perfect 3 years ago

बेहतरीन काव्य सृजन

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

बहुत सुन्दर..!

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत खूब संदीप

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद आपका

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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