कविताअतुकांत कविता
उठो बेटियों
शस्त्र उठाओ
दुष्टों से डरो मत बेटियों
दुष्टों को सबक सिखलाओ
हाँ, बेटियों भरो हुंकार
दुष्टों का कर दो संहार
माँ दुर्गा का लेकर अवतार।।
उठो बेटियों
दुष्टों से प्रताड़ित मत हो अब
दुष्टों के विनाश करने हेतु
धारण करो काली का अवतार
करो शस्त्र द्वारा
दुष्टों पर बारम्बार प्रहार।।
उठो बेटियों
ख़ुद को कमतर मत समझो
हाँ, बेड़ियों से मत बंधी रहो
तुम बेड़ियों को तोड़कर
आगे बढ़ो, हाँ पापियों का
नामोनिशान जगत से मिटा दो
हाँ, दुष्टों का नामोनिशान मिटा दो।।
उठो बेटियों
अपनी आवाज़ करो बुलंद
आवाज़ दबने न दो दुश्मनों के समक्ष
मुश्किलों का डटकर सामना कर
रच दो इतिहास
हाँ, रच दो इतिहास।।
उठो बेटियों
बेवजह की बंधनों से
जकड़ी मत रहो
बंधनों को तोड़कर
कुछ अलग करने की ठानो
हाँ, न रुकने की ठानो।।
उठो बेटियों
बाधाओं से डरकर
हार मत मानो
हिम्मत, हौंसले का आभूषण
धारण करो स्वयं के अंदर
और आगे बढ़ो
हाँ, आगे बढ़ो।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित
बहुत खूब... बेटियों को सजग करती शानदार रचना...
धन्यवाद सर