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किसान के बिना हम कुछ भी नहीं - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

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किसान के बिना हम कुछ भी नहीं

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"किसान" इनकी शख़्सियत को शब्दों में पीरोना बेहद कठिन है। ईश्वर ने कुछ ऐसे लोगों को हमारी मदद हेतु इस धरा पर भेजा है, जो इंसान की शक्ल में ईश्वर के रुप ही हैं। यदि हम "किसान" को ईश्वर का दूसरा रुप कहें तो इसमें तनिक भी शंका की गुंजाइश ही नहीं है।

ताउम्र तन पर धूप की तपिश सहनकर भी, कपकपाती ठंड में भी ठिठुरते हुए खेतों में काम करना, ख्वाहिशों के संग सदा ही समझौता कर लेना ये सभी गुण हमें किसी और के अंदर नहीं बल्कि एक किसान के अंदर ही देखने को मिलती है।

चाहे कोई किसी देश का प्रधानमंत्री हो, राष्ट्रपति हो या कोई बड़ी शख़्सियत उन्हें भी दिन भर में अन्न का दाना जो नसीब होता है वह किसी और की बदौलत नहीं बल्कि किसान की अथक मेहनत की बदौलत होता है।

जब आप गौर से देखिएगा किसी किसान की आँखों में तो आपको उनकी आँखों में दिखेगा उनका हर दर्द हर गम, जिसे वे सबसे छुपाकर रखते हैं। परिवार के सदस्यों के साथ भी अपने दर्द को साझा नहीं करते हैं। इसीलिये मैंने शुरुआत में ही कहा कि इनकी शख़्सियत सचमुच अतुलनीय है। भला कोई ख़ुद के ऊपर इतना कष्ट सहनकर दूसरों के जीवन में ख़ुशियों के रंग को कैसे भर सकता है? यह सोचने का विषय है, पर इसे सच करके दिखलाते हैं हमारे देश के किसान।

किसान के जीवन की असहनीय पीड़ा को, उनके दर्द को पद्य या गद्य रचना में पीरो पाना किसी कलमकार से संभव नहीं है। ईश्वर से हम इतनी ही प्रार्थना करते हैं कि हे ईश्वर! किसी भी अन्नदाता को किसी भी प्रकार का कष्ट न दीजिएगा कभी भी, उनके जीवन के हर दर्द को दूर कर दीजिएगा।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

किसान की मेहनत और मशक्कत को बखूबी बयान करती है आपकी रचना है

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद आपका मैम

समीक्षा
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