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टूटना मत रुकना मत - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

टूटना मत रुकना मत

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जब मुश्किल चाहे हिम्मत तोड़ना
राह में हों बाधाएँ कई
फिर भी राही रुकना मत
झुकना मत मुश्किलों के समक्ष
मस्तक मत टेकना बाधाओं के समक्ष
बढ़ाना कदम हर हाल में
मन में रखना यह विश्वास सदा
मंजिल मिलेगी एक दिन निश्चित ही।।

किसी क्षण भी होना मत मायूस
हौंसले का दामन थामे रखना सर्वदा
विश्वास के संग करना मित्रता
नकारात्मक विचार अंकुरित मत होने देना
मन में, परिस्थिति हो प्रतिकूल भले
पर रखना यह विश्वास सदा
सफल हो जाऊँगा यकीनन एक दिन।।

राह में आने वाले चंद लोग प्रोत्साहित भी करेंगे
तो कुछ लोग हतोत्साहित भी करेंगे
पर, किसी भी कीमत पर हारना नहीं है
ज़िंदगी द्वारा दी गई कठिनाईयों का सामना
करना है डटकर, मुश्किलों से लड़कर।।

लेना है प्रण जब तक हैं साँस
लड़ना है हर क्षण, हर पल
जब तक मंजिल के करीब
न पहुंच जाऊं, तब तक
रूकना नहीं है, लड़ना है
हर बाधा से, हर कठिनाई से।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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