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दादी माँ का प्यार - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

दादी माँ का प्यार

  • 183
  • 6 Min Read

एक माँ जन्म देती है बच्चे को
सहन करती है तन पर ताउम्र
बेइंतहा कष्ट हर क्षण,हर पल
पर, बच्चे की दादी बच्चे की
माँ से भी अधिक प्रेम करती है
बच्चे को, मन भर नेह लुटाती है।।

माँ जन्म देती है बच्चे को
जब कभी बच्चे की शरारत से
माँ हो जाती है बहुत परेशान
गुस्से में थप्पड़ लगा देती है
भले बाद में स्वयं ख़ुद रोती है
पर, दादी माँ नहीं मारती है पोते-पोती को
चाहे पोते-पोती लाख करे परेशान दादी को
आखिर दादी बच्चे की माँ से भी अधिक
प्रेम जो करती है बच्चे से।।

माँ जन्म देती है बेशक बच्चे को
बेइंतहा प्रेम भी करती है भले ही अपने बच्चे को
पर बच्चे की दादी बच्चे पर लुटा देती है
अपने हिस्से की हर ख़ुशी, हर सुख
पोते-पोती के लिए दादी सर्वस्व अर्पित कर देती है
पोत-पोती के लिए ख़ुद ख़ुश रहना भूल जाती है।।

माँ जब अत्यधिक क्रोधित होकर
बच्चे को डांटती है, बच्चे को सजा देती है
तो इधर बच्चे की दादी ठीक उसी तरह
तड़पती है,सिहरती है, बेचैन होती है
जिस तरह एक मछली तड़पती है
इंसानों द्वारा जबर्दस्ती काटने वक्त
जिस तरह एक मछली पानी के बिना
हो जाती है बहुत बेचैन
ठीक उसी तरह दादी भी हो जाती है बेचैन।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर..!

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

सुन्दर रचना..!

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद सर आपका

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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