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फिर तू मुस्कुराएगा - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

फिर तू मुस्कुराएगा

  • 217
  • 4 Min Read

है व्याप्त घोर अँधियारा चहुंओर
पर मनुज, तू अँधियारे से मुख मत मोड़
उर के हर कोने में उम्मीद की किरण
कर तू अंकुरित, और आगे बढ़।।

ज़िंदगी की परीक्षा में भी तू होगा उत्तीर्ण
मनुज रख विश्वास स्वयं के ऊपर हर क्षण
अंतर्मन की गुल्लक में रख उम्मीद हरदम
मन के हर कोने में विश्वास मत होने दे कम।।

वक्त कहर बरसा रहा है हर ओर
मुश्किल तोड़ना चाह रही है हिम्मत
फिर भी, मनुज तू उम्मीद का दिया
कर प्रज्ज्वलित मन के हर कोने में।।

मन के आँगन में खिलेगी ख़ुशी रुपी पुष्प
बस डगमगाने मत दे मनुज कदमों को
और हार मत मानने दे अपनी हिम्मत को
तू फिर से मुस्कुराएगा, हाँ तू मुस्कुराएगा।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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शिवम राव मणि

शिवम राव मणि 2 years ago

सकारत्मक

Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

सुन्दर और प्रेरक..!

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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