लेखअन्यसमीक्षा
पुस्तक- डियर ज़िंदगी
लेखक-शिखर चंद जैन
पाठकीय प्रतिक्रिया-कुमार संदीप
आदरणीय शिखर चंद जैन सर की प्रथम कृति "ज़िंदगी_न_मिलेगी_दोबारा" ने पाठक के हृदय में अपनी एक अलग पहचान बनाई थी। इनकी हर कृति वाकई में बेहद उम्दा होती है इसमें किंचित भी संदेह है। इनकी दूसरी पुस्तक "डियर ज़िंदगी" में एक से बढ़कर मोटिवेशनल आलेख सम्मिलित हैं। यदि पाठक इस पुस्तक को पूरी तन्मयता से शुरुआत से अंत तक पढ़े तो उसके जीवन की दिशा व दशा बदलना तय है इसमें कोई संदेह नहीं है।
पुस्तक में लिखित हर एक आलेख अपने आप में उत्कृष्ट है। हर एक आलेख कहीं-न-कहीं हमारे आम जनजीवन से जुड़ी हुई है व हमें एक सीख देती है कि हम जीवन में सकारात्मक विचारों का आत्मसात कर अपनी ज़िंदगी को सार्थक बना सकते हैं। निर्भर हम पर करता है कि हम विचारों को आत्मसात करते हैं अन्यथा नहीं। ये ज़िंदगी सचमुच हमें हर पल एक सीख देती है जिसे वक्त रहते यदि हम नहीं सीखेंगे तो हमारी ज़िंदगी नीरस बन जाएगी।
शुरुआत में ही एक बेहद उम्दा आलेख लिखा है आदरणीय शिखर चंद जैन सर ने। आप या हम यही सोचेंगे कि एक नन्हा बच्चा भी क्या हमें कोई सीख प्रदान कर सकता है। ऐसा यदि हम या आप सोचते हैं तो बिल्कुल ग़लत है। इंसान आयु में बड़ा हो या बेहद छोटा हर उम्र के इंसान से हमें कुछ न कुछ ज्ञान की बातें सीखने को मिलती ही हैं। एक लेखक की यही खासियत है कि जिस ओर आम शख़्स इंसान की नज़र तनिक भी नहीं जा पाती है उस ओर भी एक लेखक नज़र डालकर ऐसी बात लिख देता है जिसे पढ़कर हमें ढ़ेर सारी ज्ञान की बातें सीखने को मिलती हैं। ठीक ऐसा ही कुछ है इस आलेख में शिखर चंद जैन सर ने नन्हे बच्चे से हम क्या-क्या ज्ञान की बातें सीख सकते हैं उस बात को बहुत ही अच्छे से समझाया है।
हम यदि बाकी अन्य आलेखों की प्रशंसा हेतु आगे दो शब्द लिखें तो शायद कम ही होगा इस खूबसूरत कृति के लिए। डियर ज़िंदगी का हर एक आलेख काबिल-ए-तारीफ है यह अकाट्य सत्य है। चिंता छोड़कर मस्ती से जीने की काबिलेतारीफ सीख भी दिया गया है एक आलेख में। इस आलेख को यदि हम अंत तक पढ़ें तो वास्तव में चिंता नामक शब्द को हम भूल जाएंगे अपने जीवन में। मन की ख़ुशी के लिए हम क्या नहीं करते हैं। चाहते हैं हम कि हमारा मन,अंतर्मन ख़ुश रहे फिर भी हम और आप ज़िंदगी की कठिनाइयों से परेशान होकर दुखी रहते हैं। अंतर्मन की ख़ुशी खातिर हम क्या करें इसे बेहद खूबसूरती से सर ने बयां किया है। परिवार का साथ हमारे लिए कितना उपयोगी है यदि हमें यह समझना है तो हमें इस पुस्तक में शामिल एक आलेख को पढ़ना अति आवश्यक है। रिश्तों की डोर मजबूत करने की एक अच्छी सीख दी गई है इस पुस्तक में। विकट परिस्थिति में धैर्य की भूमिका को भी बखूबी बयां किया गया है इस पुस्तक में। कल कभी नहीं आता है, और आज का काम कल करेंगे कहकर काम टालने से हमारा ही नुकसान है इस बात को बहुत ही अच्छे से समझाया गया है एक आलेख में। ब्रह्म मुहूर्त में जागने के फायदे बहुत ही अच्छे से समझाया गया है। यदि हम ब्रह्म मुहूर्त में जाग जाते हैं तो इसमें हमारा ही भला है जानकर भी हम इस बात से अनजान बने रहते हैं। हमारी इस बड़ी भूल को आईना दिखाने का काम कर रहा है यह आलेख। ज़िंदगी में जब मुसीबतें आती हैं तो हम ख़ुद को असहाय निर्बल महसूस करने लगते हैं। पर डियर ज़िंदगी के लेखक का कहना है कि मुसीबत का ही वक्त एक ऐसा वक्त है जब हम असल मायने में मजबूत बनते हैं। साहसी इंसान को इस वक्त में टूटना नहीं बल्कि सीख लेना चाहिए। किसी की मुस्कान की वजह बनने के लिए धन की नहीं बल्कि निर्मल, निःस्वार्थ मन की आवश्यकता होती है इस बात को लेखक ने बखूबी बयां किया है।
"डियर ज़िंदगी" में लिखित हर एक आलेख को लिखने से पूर्व लेखक ने बहुत मेहनत की है इस बात को हम अंत तक पढ़ने के पश्चात भलीभांति समझ सकते हैं। प्रसिद्ध बिजनेसमैन, प्रखर वक्त, ज्ञानियों की बातें एवं विभिन्न रिसर्चों से प्राप्त निष्कर्ष को भी इस पुस्तक में शामिल करना, आलेख लिखने वक्त उनके विचारों को भी स्मरण कर शामिल करना कोई आसान कार्य नहीं। इस खूबसूरत कृति के लिए लेखक महोदय बधाई के पात्र हैं। हम ईश्वर से यही प्रार्थना करते हैं कि लेखक महोदय सदैव ख़ुश रहें, अपने अनुभवों द्वारा बुद्धि, विवेक द्वारा यूं ही खूबसूरती कृति समाज को भेंट करते रहें ताकि आदर्श समाज का निर्माण हो, नकारात्मक विचारों से सभी कोसों दूर हों।
✍️कुमार संदीप