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मैंने माँ से पूछा - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मैंने माँ से पूछा

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मैंने माँ से पूछा
माँ!
आपके लिए इस दुनिया में सबसे
प्यारा क्या है?
माँ ने कहा,
"बेटे तुमसे प्यारा मेरे लिए कुछ भी नहीं।"

मैंने माँ से पूछा
माँ!
आप अपनी ख़ुशी के लिए
कभी क्यों नहीं सोचती हैं?
माँ ने कहा,
"बेटे जब तुम मुस्कुराते हो तो
मैं भी मुस्कुराने लगती हूँ
इस तरह मैं ख़ुश हो जाती हूँ।"

मैंने माँ से पूछा
माँ!
आपकी आँखों को,मन को
कब सुकून मिलता है?
माँ ने कहा,
"बेटे जब तुम्हें मैं अपनी
आँखों से देखती हूँ
सही सलामत
तब मुझे अधिक सुक़ून मिलता है।।"

मैंने माँ से पूछा
माँ!
तुम्हें तो गणित विषय की समझ है
फिर भी तुम जब मुझे
दो रोटी देती हो तो,
यह क्यों कहती हो कि?
बेटे मैंने तुम्हें एक ही रोटी दी है?
माँ ने कहा,
"बेटे तू भी न सचमुच
अजीब प्रश्न करते हो
मुझे लगता है कि
तुम्हें अब भी गिनती करने में
गलती हो जाती है।।"

मैंने माँ से पूछा
माँ!
दुनिया की हर माँ
होती हैं बेहद प्यारी
तो हर बेटे अच्छे क्यूं नहीं होते हैं?
माँ ने कहा,
"बेटे, दुनिया के हर बेटे
अच्छे हो या न हों
पर एक माँ अपने हिस्से की
हर ख़ुशी चाहती है
देना अपने बेटे को
क्योंकि माँ कभी भी
किसी भी परिस्थिति में
नहीं देखना चाहती है
अपने बेटे को परेशान, मायूस।।"


©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित

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