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हिंदी महज भाषा नहीं है - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

हिंदी महज भाषा नहीं है

  • 270
  • 4 Min Read

हिंदी महज एक भाषा नहीं है
हिंदी हमारे मन की भाषा है
हिंदी हमारी माँ है
जिस तरह माँ हमें
दुलारती है,प्यार करती है
ठीक उसी तरह
माँ हिंदी भी हमसे
बेइंतहा प्रेम करती है।।

हिंदी महज एक भाषा नहीं है
हिंदी बोलकर-पढ़कर, हम
समझते हैं स्वंय को सौभाग्यशाली
हिंदी लिखकर होता हमें गौरव।।

हिंदी महज एक भाषा नहीं है
आज इस भाषा से है हर किसी को प्रेम
माँ का दर्जा दिया नहीं है यूं ही हमने इस भाषा को
हम माँ की तरह पूजते भी हैं इस भाषा को।।

हिंदी महज एक भाषा नहीं है
हिंदी भाषा का स्थान है आज बहुत ही ऊंचा
हिंदी से बेइंतहा प्रेम सबको यूं ही नहीं है आज
हिंदी भाषा के प्रति है सबके मन में अगाध प्रेम आज।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

वाह

Swati Sourabh

Swati Sourabh 3 years ago

सुंदर रचना

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद आपका

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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