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एक चॉकलेट उनके लिए - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

एक चॉकलेट उनके लिए

  • 162
  • 5 Min Read

अपनी आँखों के तारे
लाडले के लिए ही नहीं
एक चॉकलेट उन बच्चों के लिए
भी ख़रीद दीजिए
जो सड़क किनारे चुनते हैं
डिब्बे, ख़िलौने, पॉलीथिन।।

अपनी आँखों के तारे
लाडले के लिए ही नहीं
एक चॉकलेट ख़रीदकर
उन बच्चों के हाथों में भी थमा दीजिए
जो कूड़ेदान से चुनते हैं
अपने लिए खाने का सामान
ताकि पेट की भूख मिट सके।।

अपनी आँखों के तारे
राजदुलारे के लिए तो
हर रोज़ क्रय करते हैं आप चॉकलेट
एक रोज़ उन बच्चों के लिए भी
क्रय कीजिए चॉकलेट
जिनके जीवन में है
व्याप्त हर दिन दुख का घोर तिमिर।।

अपनी आँखों के तारे
कुल के दीपक ख़ातिर
प्रतिदिन तो क्रय करते ही हैं आप
विभिन्न वेराइटीज की चॉकलेट
तो सप्ताह में एक दिन ही सही
उनके लिए भी ख़रीद लीजिए
किसी भी वेराइटी की कोई चॉकलेट
जो बच्चे फुटपाथ पर गुजारते हैं
अपना जीवन मजबूरीवश
जब आप देखेंगे उन बच्चों को
चॉकलेट का रैपर अलग कर
चॉकलेट ग्रहण करते हुए
तो निश्चित ही आपके मन को
मिलेगा चैनों सुकून ।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Ashutosh Tripathi

Ashutosh Tripathi 3 years ago

वाह बेहद भावपूर्ण,मर्मस्पर्षी पंक्तियां अनुज👌🏻👌🏻👌🏻

वो चांद आज आना
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