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सहारा - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

सुविचारअनमोल विचारप्रेरक विचार

सहारा

  • 112
  • 2 Min Read

बचपन में माता-पिता हमारी उंगलियों को अपनी उंगलियों से थामकर हमें संभालते हैं, चलना सिखलाते हैं। तो हमारा भी यह कर्तव्य है कि जब तक माता-पिता की साँसें शेष है तब तक हम भी उनके सहारे की छड़ी बनकर उनके डगमगाते कदम को संभालें, उनका ख़्याल रखें।
©कुमार संदीप

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद