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बेटे बहादुर होते हैं - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बेटे बहादुर होते हैं

  • 153
  • 5 Min Read

बेटे भी जब जाते हैं घर से दूर
शहर, चंद ख़्वाहिश पूर्ण करने
तब मात-पिता से लिपटकर
अपने भाई से अपनी बहन से
लिपट खूब रोते हैं।।

बेटे भी बेटियों की भाँति
पिता से बहुत प्रेम करते हैं
जब असमय ही पिता ईश्वर के पास
हमेशा के लिए जाते हैं
तब बेटे पिता को यादकर बहुत रोते हैं।।

बेटे भी बहुत बहादुर होते हैं
अपनों की ख़ुशी के लिए
अपनी ख़ुशी भूल जाते हैं
परिवार की ख़ुशी के लिए
तमाम दुखों से स्वंय लड़ते हैं।।

बेटे भी पिता की भाँति जानते हैं परिवार में
हर सदस्य का पूरा ख़्याल रखना
अपनत्व की परिभाषा को चरितार्थ
बेटे भी करते हैं, तभी तो बेटे भी
रिश्तों की डोर मजबूत करने हेतु करते हैं प्रयत्न।।

बेटे भी माँ की भाँति नहीं करते हैं
परवाह ख़ुद की कभी भी
जब बारी आती है परिवार के देखरेख की
तो बेटे ख़ुद का ख़्याल रखना भूलकर
अपनों को ख़ुश रखने का प्रयत्न करते हैं।।

बेटे उतने भी बुरे नहीं होते हैं कुछेक को छोड़कर
और जो बेटे होते हैं बुरे, नहीं करते हैं
परवाह मात-पिता की, मात-पिता को जो बेटे करते हैं
घर से बेघर, उन बेटों को
ईश्वर भी माफ नहीं करते हैं।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 3 years ago

सबसे अच्छे बेटे तुम हो

Nikki Sharma

Nikki Sharma 3 years ago

बहुत बढ़िया

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद माता श्री

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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