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वक्त - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

वक्त

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वक्त एक अध्यापक है
पल-पल सिखलाता है
गूढ ज्ञान न कर आराम
मैं जो चला जाऊंगा
वापस नहीं आऊंगा
मेरी तुम कीमत पहचानो
मुझे खोकर तुम ख़ुद का
अस्तित्व ही खो बैठोगे।।

वक्त एक शिक्षक है
शिक्षक की भाँति सिखलाता है
सर्वदा अनमोल ज्ञान
मानव तू कर कुछ अलग
मुश्किल की घड़ी में मत भयभीत हो
मेरी तुम कीमत पहचानो
मुझे खोकर तुम ख़ुद का
अस्तित्व ही खो बैठोगे।।

वक्त एक अध्यापक है
वक्त-वक्त पर मुश्किलों से
लेता है हम इंसानों की परीक्षा
देता है ज्ञान मुश्किलों से मत हो परेशान
गढ़ कीर्तिमान यश बस
मेरी तुम कीमत पहचानो
मुझे खोकर तुम ख़ुद का
अस्तित्व ही खो बैठोगे।।

वक्त एक पथ प्रदर्शक है
हमें सिखलाता है अनमोल ज्ञान
मंजिल पथ पर मिलेंगी मुश्किलें हजार
कर सामना उन मुश्किलों का हँसकर
मत घबरा किसी मोड़ पर बस
मेरी तुम कीमत पहचानो
मुझे खोकर तुम ख़ुद का
अस्तित्व ही खो बैठोगे।।

©कुमार संदीप
मौलिक,स्वरचित

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