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बच्चों डरो मत मुश्किलों से - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बच्चों डरो मत मुश्किलों से

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बच्चों, किंतु परंतु नामक शब्द
ज़िंदगी से निकालकर तुम आगे बढ़ो
कुछ अलग करने का संकल्प लो
किसी भी परिस्थिति में मुश्किलों से मत डरो।।

बच्चों, एक लक्ष्य निर्धारित करो तुम
और जब तक न हो प्राप्त मंजिल
थककर हार मानकर मत बैठो तुम
हाँ, किसी भी कीमत पर हार मात मानो तुम।।

बच्चों, मंजिल की राह में बाधाएँ आएंगे हीं
कभी रोना भी पड़ेगा जी भर
प्रतिकूल क्षण में भी हौंसला मत खोना तुम
मुश्किल हो बड़ी पर चेहरे पर मुस्कान रखना तुम।।

बच्चों, ज़िंदगी की परीक्षा में उत्तीर्ण होने हेतु
रखना पड़ता है स्वयं के ऊपर अटूट विश्वास
फिर, लाख बड़ी हो मुश्किल होता नहीं है कुछ
अंततः सफलता हासिल होती ही है।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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