कविताअतुकांत कविता
हे माँ! शैलपुत्री
माँ, देश की हर बेटी को
पापियों से लड़ने की असीम शक्ति दो
हाँ माँ!
बेटियाँ आज सुरक्षित नही हैं
माँ तुम बेटियों के ऊपर
अपनी कृपादृष्टि दिखाओ माँ
पापी यदि बुरी दृष्टि डालना चाहें
तो उन पापियों को माँ
तुम दृष्टिकोण कर दो।।
हे माँ! ब्रह्मचारिणी
माँ मन में सुंदर विचार भर दो
हम अज्ञानी हैं माँ
मन से बुरे विचार दूर कर दो
मन कभी भी किसी का
अहित न सोचे, इसलिए
हे माँ! आप अपनी कृपादृष्टि
बनाए रखना सर्वदा
मुश्किल घड़ी में संभाल सकूं ख़ुद को
इसलिए मुश्किल से
लड़ने की हिम्मत देना माँ।।
हे माँ! चंद्रघंटा
अपनी कृपादृष्टि सब दीन-दुखियों
के ऊपर सदा बनाए रखना
दीन दुखियों के जीवन से
समस्त दुखों को दूर कर
उनके जीवन में
ख़ुशियों के नव रंग भर देना।।
हे माँ! कूष्मांडा
ज़रुरतमंदों की करुण पुकार
सुनकर, कर दीजिए
ज़रूरतमंदों के जीवन से
कष्ट की काली रात दूर।।
हे माँ! स्कंदमाता
माँ! माँ तो हर संतान के
ऊपर अपार स्नेह लुटाती है
तुम भी तो माँ हो
हाँ, माँ हम पर सदा
स्नेह लुटाते रहना माँ
आशीष बनाएं रखना सर्वदा माँ।।
हे माँ! कात्यायनी
दो वक्त की रोटी के लिए
परिवार की ख़ुशी के लिए
चंद ख्वाहिश पूर्ण करने के लिए
बेटों को न भटकना पड़े शहरों में
माँ, अपने बेटों के ऊपर भी
अपनी कृपादृष्टि दिखाइये
दूर कर दीजिए उनके जीवन से संकट।।
हे माँ! कालरात्रि
गरीबी तोड़ देती है गरीबों को अंतस तक
हे माँ! दुख की काली रात दूर कर दीजिए
गरीबों के जीवन से सर्वदा के लिए।।
हे माँ! महागौरी
माँ, धर्म के नाम पर लड़ते हैं जो अज्ञानी
उन अज्ञानियों के मन में आदर्श विचार भर दीजिए
सद्बुद्धि प्रदान कर दीजिए।।
हे माँ! सिद्धिदात्री
ज़िंदगी की असहनीय पीड़ा से परेशान हैं
जो नेक इंसान, उनके जीवन में
ख़ुशी, समृद्धि भर दीजिए।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित