कविताअतुकांत कविता
मनुज!
मत हार मानो मुश्किलों से कभी
तुम डटकर सामना करो, मुश्किलों का
अंतिम साँस तक
स्मरण रखना इक बात सदा
हार मान जो समझते हैं
ख़ुद को कमज़ोर
नहीं करते हैं प्रयास
उन्हें कभी नहीं मिलती है, सफलता
जीवनभर पछताना पड़ता है उन्हें।।
मनुज!
गाँठ बात लो तुम
चाहे यदि कोई रोकना कदम
तुम हरगिज़ मत रुकना
मुश्किल चाहे यदि तोड़ना हिम्मत
तुम हर हाल में मत टूटना
जीना इस तरह ज़िंदगी अपनी, कि
याद करें सभी, तुम्हारे न रहने के बाद भी
हाँ, जीना ऐसे कि सबके दिल में
बस जाना सदा के लिए।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित