सुविचारप्रेरक विचार
१)वरिष्ठ साहित्यकारों का नव रचनाकारों की रचना पर सुधारत्मक टिप्पणी प्राप्त होना नव रचनाकारों के लिए किसी कीमती तोहफे से कम नहीं है। हमें उनकी टिप्पणी का स्वागत हाथ जोड़कर करना चाहिए, और लेखन में सुधार लाने की भरपूर कोशिश करना चाहिए।
२)लेखन में नवीनता, सार्थक परिवर्तन लाने के लिए यह अति आवश्यक है कि सर्वप्रथम हम अपने अंदर की खामियों की ओर दृष्टि डालें।
३)लेखनी आर्थिक रुप से मजबूत बनाएं या बनाएं पर सकारात्मक विचार व आदर्श संस्कार का संचार हमारे अंदर करके हमारे जीवन रुपी बगिया में ख़ुशी रुपी पुष्प ज़रूर रोप देती है।
४)साहित्यकार आर्थिक रुप से कितना भी लचर क्यों न हो? पर उसकी कलम में इतनी ताकत होती है कि दुख रुपी नदी में डूब रहे इंसान के लिए भी वह प्रेरणा का स्त्रोत बन सकता है, अपनी लेखनी द्वारा उसे मुश्किल भँवर से पार करा सकता है।
५)फ़िल्म जगत की हस्तियों की तरह जीते जी आप बेशक पूरे देश-विदेश में अपनी एक अलग पहचान न बना पाएं, पर लेखनी द्वारा आप सभी के अंतर्मन पर अमिट छाप अवश्य छोड़ सकते हैं।
@कुमार संदीप
अभी इसमें और भी पॉइंट ऐड होने बाकी हैं। अभी तक जितने लिखे सभी सटीक हैं।
जी माते,हार्दिक आभार