कविताअतुकांत कविता
रचनाकार की रचना पढ़कर
समझकर क्या सीखते हैं हम?
इस प्रश्न का उत्तर जानने हेतु
जब हम डुबकियाँ लगाते हैं
यथार्थ की नदी में
तो होता है यह ज्ञात हमें..
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम असल मायने में प्रेम करना सीखते हैं।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम महसूस कर पाते हैं असहाय की करूण पुकार।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम सीखते हैं प्रतिकूल क्षण में भी आगे कदम बढ़ना।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हमें दिखाई देने लगती है उम्मीद की नवीन किरण।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम यह जान पाते हैं कि
दुख,दर्द केवल एक शख़्स के जीवन में ही नहीं है विद्यमान।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम बेजुबानों के दर्द को भी महसूस कर पाते हैं।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम सीखते हैं रिश्तों की सच्ची परिभाषा।।
रचनाकार की रचना पढ़कर
हम जान पाते हैं कि
माँ की भूमिका हमारे जीवन में क्या है?
पिता संतान ख़ातिर करते हैं असाधारण त्याग
बुजुर्ग मरते-मरते भी दे जाते हैं हमें
ज्ञान के स्वरूप में अनमोल धरोहर।।
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित