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दुख के दिन - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

दुख के दिन

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  • 4 Min Read

दुख के दिन भी गुजर जाएंगे
सुख के दिन फिर से आएंगे
हारकर हिम्मत न रोना कभी
ज़िंदगी तो परीक्षा लेती है हर घड़ी।।

संकट चली जाएगी फिर से अपने घर
ख़ुशी आएगी फिर एक दिन घर
अश्रु पोछकर मुस्कुरा तू जरा
हिम्मत न हार तू पथिक कभी।।

विपत्ति होगी दूर ज़रूर इक दिन
ख़ुशी आएगी फिर एक दिन
मायूस न हो राही तू इस घड़ी
मन में रख विश्वास तू हर घड़ी।।

ज़िंदगी तो लेती है परीक्षा हमारी
देखना चाहती है हम में हिम्मत है या नहीं
दिखा दे तू ज़िंदगी को आज
हम नहीं मानते हैं हार कभी।।

माना हलचल मची हुई है हर ओर
रो रहे हैं निर्धन खूं के आंसू
पर हार मान क्या हम जीत पाएंगे
बिल्कुल नहीं इसलिए हार मत मान कभी।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 3 years ago

बहुत सुंदर रचना

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

कुछ वर्तनी अशुद्धि दिखी है। एक दो शब्द ठीक कर लेना। उसके इलावा अब उत्तम

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

बहुत सुंदर भाव

Anujeet Iqbal

Anujeet Iqbal 3 years ago

बहुत सुंदर भाव

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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