लेखअन्य
मेरे प्राण से भी प्रिय मेरे प्यारे बच्चों
तुम्हें ढ़ेर सारा स्नेह व आशीर्वाद
बच्चों सच कहता हूँ मुझे इस बात की बेहद ख़ुशी है साथ ही, मैं ख़ुद को सौभाग्यशाली समझता हूँ कि मैं तुमलोगों को पढ़ाता हूँ, जितना मैं जानता हूँ। जितना मैंने अपनी ज़िंदगी में अनुभव किया है जो सीखा है ज़िंदगी ने मुझे सिखलाया है बस उसे ही मैं तुम्हें बतलाने का प्रयत्न करता हूँ।
मेरे लिए अध्यापक के रुप में कार्य करना एक गौरव की बात है। बच्चों भले मेरी आर्थिक स्थिति लचर रहती है भले ही मैं मनचाही वस्तु क्रय नहीं कर सकता पर बच्चों, मैं तुम्हें इस काबिल अवश्य बना दूंगा कि तुम एक दिन अपनी एक अलग पहचान बना पाओगे दुनिया के समक्ष। तुम्हें इस काबिल बनाने का प्रयत्न करता हूँ और आगे भी करूंगा कि कभी भी तुम्हें ख़्वाहिशों के साथ समझौता न करना पड़े। तुम सूर्य की भाँति अद्वितीय बनों सदा ख़ुश रहो इसलिए मैं करूंगा हर संभव प्रयास हरदम।
प्यारे बच्चों आज इस खत के माध्यम से तुम्हें एक बात और कहना चाहता हूँ ज़िंदगी में अनगिनत कठिनाईयों से तुम्हें सामना करना पड़ेगा पर किसी भी मोड़ पर तुम टूटना मत अपने हौसले को कभी मत टूटने देना। बच्चों याद रखना मंजिल मिलने से पूर्व थककर बैठने वालों को सफलता कभी नहीं मिलती है! बल्कि कठिनाइयों से मुँह नहीं मोड़ने वाले को ही सफलता मिलती है। ज़िंदगी परीक्षा लेती है हर क्षण, हर पल बस किसी भी पल मायूस मत होना। मुश्किलों से डटकर सामना करना, मुश्किलों से मुँह मत मोड़ना।
बच्चों पढ़-लिखकर तुम एक दिन अच्छा और बड़ा आदमी बनों मेरी यह अभिलाषा है। पर बच्चों कभी भी अहंकार मत अंकुरित होने देना मन में। सफल होने के पश्चात भूलना मत कभी भी अपने मात-पिता के उपकारों को। सदा अपने मात-पिता का आदर व सम्मान करना। सफलता प्राप्त करने के क्रम में जिसने भी तुम्हारी मदद की हो, उनके प्रति आदर व सम्मान का भाव कभी भी कम मत होने देना!
अंत में बस इतना ही कहना चाहता हूँ तुम्हें मेरे प्यारे बच्चों सदा गुरुजनों की बातों को स्मरण रखना। जब कभी ज़िंदगी में मुश्किल रुलाना चाहे तुम रोना मत बल्कि पूरे हिम्मत और हौसले के संग लड़ना मुश्किलों से।
प्यारे बच्चों तुम्हारे उज्ज्वल भविष्य की कामना करता हूँ।
ढ़ेर सारा स्नेह व आशीर्वाद!
©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित