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बेटी हूँ मैं भी.. - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

बेटी हूँ मैं भी..

  • 288
  • 4 Min Read

बेटी हूँ
मैं भी नभ में उड़ान भर सकती हूँ
पापा के सहारे की लाठी बन सकती हूँ
माँ की आँखों के आँसू पोंछ सकती हूँ
परिवार को एकता के सूत्र में बांध सकती हूँ।।

बेटी हूँ
मैं भी इतिहास रच सकती हूँ
आसमां स्पर्श करने की कोशिश कर सकती हूँ
समुद्र में गोते लगा अनमोल मोती खोज सकती हूँ
बड़े सपने मैं भी साकार कर सकती हूँ।।

बेटी हूँ
मैं भी परिवार की ज़िम्मेदारी सर पर उठा सकती हूँ
प्रतिकूल क्षण में भी ख़ुद को संभाल सकती हूँ
जगत में अपनी एक अलग पहचान बना सकती हूँ
माँ बन पूरे परिवार को संभाल सकती हूँ।।

बेटी हूँ
मैं भी बड़े-बड़े सपने देख सकती हूँ
बड़े सपने देख ही नही,सपनों को पूर्ण भी कर सकती हूँ
असंभव कार्य को संभव मैं भी कर सकती हूँ
हाँ, मैं भी कुल का नाम रोशन कर सकती हूँ।।

©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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Mr Perfect

Mr Perfect 3 years ago

Ati sundar

Vinay Kumar Gautam

Vinay Kumar Gautam 3 years ago

बहुत खूब भाई.. शानदार

Kumar Sandeep3 years ago

धन्यवाद सर

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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