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प्रेम - Kumar Sandeep (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

प्रेम

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  • 4 Min Read

प्रेमिका के जीवन की बाधाओं को
हर लेने का वायदा करना ही प्रेम नहीं है
सड़क किनारे भूख से बिलखते
इंसान को भोजन अर्पित करना भी प्रेम है।।

प्रेमिका के जीवन में दुख के घोर तिमिर को
मिटाने का संकल्प लेना ही प्रेम नहीं है
किसी असहाय के जीवन में व्याप्त
दुख के घोर तिमिर को मिटाना भी प्रेम है।।

प्रेमिका के जीवन में ख़ुशियों का रंग घोलने के लिए
भाँति-भाँति तरह का यत्न करना ही प्रेम नहीं है
किसी दुखियारे के आँगन में, जीवन में
ख़ुशी रुपी पुष्प बोकर ख़ुशी प्रदान करना भी प्रेम है।।

प्रेमिका के जीवन में व्याप्त ख़ुशियों के आकार
को दोगुना कर देना ही प्रेम नहीं है
ज़रुरतमंदों की चंद ज़रुरतों को ही सही पूर्ण कर
ज़रुरतमंदों के सहारे की छड़ी बनना भी प्रेम है।।


©कुमार संदीप
मौलिक, स्वरचित

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