कविताअन्य
गीत
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~~डॉ. मधु प्रधान
दीप हैं हम
दीप हैं हम ।
तपन अन्तर में छिपाये
रात भर जलते रहे
स्नेह से भरपूर थे पर
तिमिर को खलते रहे
ज्योति के
झरते हुये
अनुगीत हैं हम
दीप हैं हम दीप हैं हम ।
सनसनाती हवाओं के
सामने कब हार मानी
बीज तम का मिटाने की
शपथ हमने सहज ठानी
हताशा में
ओज का
संगीत हैं हम
दीप हैं हम ,दीप हैं हम ।
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डॉ. मधु प्रधान ,कानपुर
9236017666, 8562984895