कवितानज़्म
जिन्दगी की रहगुज़र को सफ़र कहते हैं
राहे-सफ़र जो साथ हो हमसफ़र कहते हैं!
सुकून -ए -जिंदगी जहांपर होसके हासिल,
उस को "बशर" हम यहाँ- पर घर कहते हैं!
चैन-ओ-अमन से हो बसर तो है येह जन्नत,
जो न हो तो दोज़ख इसी को मग़र कहते हैं!
न दिन को चैन न रातों को हो नींद मयस्सर,
हासिल हुए सब बुरे कर्मों का असर कहते हैं!
लाहासिल सुखको कांटोभरी सफ़र कहते हैं,
हासिल सुख को सुगम सरल डगर कहते हैं!
©️ "बशर"