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मुझसे पूछो - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

मुझसे पूछो

  • 253
  • 3 Min Read

हिस्सा तुम ही तो थे मेरा
फिर क्यों बंटने की बात की।
देखा है कभी
जमीन और आसमान को
दोनों अलग - अलग दिखते हैं।
दिखते हैं ओर - छोर मिलते हुए
पर मिलकर भी मिलते नही।
तुम्हे क्या चाहिये यह तो सब जानते हैं।
मुझसे पूछो मुझे क्या चाहिये।
आत्मिक शांति
इन सबसे परे
बिल्कुल इस खुले आसमान की तरह
सुनो मुझे धरती के बारे में बात नही करनी
यह तो बेवफा है
मिलती ही नही कभी आसमान से।
हाँ तुम्हारी तरह है यह भी
बहुत सा शोर लिए। - नेहा शर्मा ©

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Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

विलक्षण

Bhawna Sagar Batra

Bhawna Sagar Batra 3 years ago

बहुत सुुंदर

Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

बहुत बढ़िया

नेहा शर्मा3 years ago

धन्यवाद

वो चांद आज आना
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तन्हाई
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प्रपोजल
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माँ
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