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कवितानज़्म
कैसा है घर- बार चार दिनों के सब मेहमान यहाँ हबीब कहाँ दोस्त कहाँ मतलब के सब यार यहाँ अन्जाना संसार सारा हर कोई तक़दीर का मारा अजनबी इस दुनियामें बशर हैं सब अग़्यार यहाँ @"बशर"