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बशर हैं सब अग़्यार यहाँ - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

बशर हैं सब अग़्यार यहाँ

  • 25
  • 1 Min Read

कैसा है घर- बार चार दिनों के सब मेहमान यहाँ
हबीब कहाँ दोस्त कहाँ मतलब के सब यार यहाँ
अन्जाना संसार सारा हर कोई तक़दीर का मारा
अजनबी इस दुनियामें बशर हैं सब अग़्यार यहाँ
@"बशर"

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तन्हा हैं 'बशर' हम अकेले
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यादाश्त भी तो जाती नहीं हमारी
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