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कवितानज़्म
भर- भर प्याले मय के पीते हैं हम, सपनों की दुनिया में जीते हैं हम! उम्र गुजारी येह मयख़्वारी में सारी, भीतर से बशर कितने रीते हैं हम! ©️"बशर"