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भीतर से कितने रीते हैं हम - Dr. N. R. Kaswan (Sahitya Arpan)

कवितानज़्म

भीतर से कितने रीते हैं हम

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  • 1 Min Read

भर- भर प्याले मय के पीते हैं हम,
सपनों की दुनिया में जीते हैं हम!

उम्र गुजारी येह मयख़्वारी में सारी,
भीतर से बशर कितने रीते हैं हम!

©️"बशर"

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