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दहेज़ का अभिशाप - Kamlesh Vajpeyi (Sahitya Arpan)

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दहेज़ का अभिशाप

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  • 9 Min Read

दहेज..का अभिशाप
मात्र यह एक शब्द मन को झकझोर सा देता है.. न जाने कितनी दुल्हनों ने इसके दुष्प्रभाव झेले, कितनों ने चुपचाप अमानुषिक अत्याचार सहे, घुट घुट कर यन्त्रणाओं के बीच, जीवन जिया, कितनों ने जान गंवायी..
बहुत से कठोर कानूनों के मध्य भी उत्पीड़न किसी न किसी रूप में जारी है.
किन्तु इधर लड़कियों की उच्च- शिक्षा, अन्य सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियों की प्राप्ति ने बहुत सी आशायें जगायी हैं. इसमें से बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों का एकाधिकार समझा जाता था. उन्होंने बिना किसी सहारे के, अपना सम्मानजनक स्थान बना लिया है, अब वे किसी की मोहताज़ नहीं हैं. वे न केवल आत्मनिर्भर हैं बल्कि दूसरों की भी सहायता करती हैं. वे सबला हैं.

वास्तव में देखा जाये तो दहेज़ के लोभियों को कभी भी मन से सम्मान नहीं मिल सकता, लड़कियां जब परिवार का हिस्सा बनती हैं तो उन्हें बराबरी का दरजा ही मिलना चाहिए. रुढ़िवादी लोगों को, अपने हित में, अपनी सोच बदलनी चाहिए, तभी परिवार सुखपूर्वक रह सकता है. तभी पुत्रवधू भी ससुराल में मन से सबका सम्मान कर सकेगी.
अभी कुछ दिन हुए, अहमदाबाद में एक बेटी ने '' अपना मार्मिक वीडियो अपलोड कर के, पति के दहेज़ मांगने और प्रताड़ना देने से दुखी हो कर नदी में कूद कर अपनी जान दे दी. माता-पिता ने बहुत मिन्नतें की उससे, वापस आने के लिए, उससे बार बार ससुराल पक्ष से उनका अपमान सहा नहीं गया और उसने नदी में छलांग लगा कर अपनी जान दे दी. कितना दुखद और त्रासद है..!!
दहेज प्रथा को समाप्त करने के लिए, बेटियों को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाना बहुत आवश्यक लगता है, सभी को समझना चाहिए कि विवाह में, वर और वधू दोनों पक्षों की भागीदारी बराबर है. विवाह में अनावश्यक लड़की के माता-पिता पर बोझ डालना अनुचित है. बहू को भी बेटी की तरह ही समझना चाहिए, फिर वह तो अपने माता-पिता, पूरे परिवार को छोड़कर नयी जगह आई है.
केवल कानूनी प्रावधानों से समस्या का निराकरण नहीं हो सकता है. समाज के सभी वर्गों को आपसी समझ बनाने की आवश्यकता है.

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Poonam Bagadia

Poonam Bagadia 3 years ago

सार्थक लेख ...!

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी.. धन्यवाद

Meeta Joshi

Meeta Joshi 3 years ago

कम शब्दों में गहरी बात कही आपने

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

मीता जी. धन्यवाद..!

Meeta Joshi

Meeta Joshi 3 years ago

कम शब्दों में गहरी बात कही आपने

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी..! आभार..!

Pallavi Rani

Pallavi Rani 3 years ago

सार्थक प्रस्तुति आदरणीय

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी. धन्यवाद

Champa Yadav

Champa Yadav 3 years ago

बहुत.. खूब.. सर

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी.. आभार

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी.. आभार

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

जी. बहुत धन्यवाद..!

Amrita Pandey

Amrita Pandey 3 years ago

बहुत खूब लिखा सर, स्त्री के मन को सही पढ़ा है आपने।

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

अम्रता जी बहुत धन्यवाद 🙏

समीक्षा
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