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लाइब्रेरी - Kamlesh Vajpeyi (Sahitya Arpan)

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'' पुस्तकालय ''


यह. शब्द मात्र हमें, एक बहुत सुन्दर और मनोहारी अनुभूति से भर देता है..



' पुस्तकालय ' का अर्थ है. ज्ञान का अकूत भन्डार. आप अपनी मनचाही पुस्तक पढ़ कर अपने ज्ञान में व्रद्धि कर सकते हैं.हर विषय पर पुस्तकें उपलब्ध हैं,


पुस्तकालय में आप पुस्तकों पर धन न व्यय कर के, अपनी आवश्यकता के अनुसार, नोट्स आदि बना कर. अपनी आवश्यकता की पूर्ति कर सकते हैं. बहुत सी किताबें बहुत महंगी भी होती हैं.. अतः पुस्तकालय का उपयोग बेहतर है..


प्राचीन समय में, हमारे देश में नालंदा और तक्षशिला बहुत सम्रद्ध पुस्तकालय थे. जिन्हें विदेशी आक्रान्ताओं ने,बुरी तरह नष्ट किया. हमारा देश ज्ञान का अकूत भन्डार रहा है..



यदि आप विद्यार्थी हैं तो अपने कोर्स की किताबें पढ़ सकते हैं. पढ़ने के लिए आपको शान्त वातावरण भी पुस्तकालयों में उपलब्ध है..
कुछ पुस्तकालयों में, मासिक सदस्यता होती है. स्कूल, कालेज आदि के पुस्तकालय निशुल्क होते हैं..


वैसे आजकल कम्प्यूटरीकरण के चलते, डिजिटल लाइब्रेरी का चलन बढ़ रहा है.. हम नेट पर बहुत सी पठन सामग्री का लाभ उठा सकते हैं.. आजकल लोग आनलाईन पढ़ना, अधिक पसन्द करते हैं.. इसमें कहीं आने-जाने में समय व्यय नहीं होता.. अपनी सुविधानुसार हम कभी भी, इसका उपयोग कर सकते हैं.

पुस्तकालयों में पढ़ने का एक विशेष माहौल मिल जाता है.. किताबों का आकर्षण अलग ही होता है.. एक खास खुशबू भी किताबों में होती है.. जो आकर्षित करती है.. जैसे चाय, काफ़ी के ख़ास ब्रांड में एक आकर्षण होता है. वैसे ही कुछ किताबों में भी होता है. जो आकर्षित करता है.


' प्रतिलिपि ' इसका बहुत सुन्दर उदाहरण है. इसमें हम तमाम लेखकों के अतिरिक्त, पुराने बहुत प्रसिद्ध साहित्यकारों की क्रतियों का लाभ भी, बहुत सुविधा से उठा सकते हैं.


बहुत से साहित्यिक ग्रुप भी, फेसबुक पर यह कार्य भली भांति कर रहे हैं, जिससे नये लेखन को पहचान मिल रही है.. तथा उनकी लेखन शैली में निखार आ रहा है.. नये लेखक लेखिकाएं निस्संकोच इसमें सम्मिलित हो रहे हैं.
इसमें महिलाओं की संख्या कुछ अधिक है. बहुत सी महिलाओं की प्रतिभा.. घरेलू काम-काज में व्यस्तता के कारण दब जाती है.. वह इन कुछ सुरक्षित मन्चों पर, भलीभांति प्रस्फुटित होती है..

वे अपनी घर की व्यस्तताओं के बीच समय निकाल कर, अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं..
देखा जाए तो, सोशल मीडिया भी पुस्तकालय का ही एक, आधुनिक रूप ही तो है. वर्चुअल पुस्तकालय..!!







आज के समय में पुस्तकालय कम ही दिखाई पड़ते हैं..
धीरे-धीरे इनकी संख्या कम होती गयी..फिर भी अच्छे स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में अच्छे पुस्तकालय उपलब्ध हैं.

वैसे, लोगों में पुस्तकें पढ़ने की प्रवृत्ति कम हो गयी.. पुस्तक पढ़ने का अलग महत्व है..



आजकल लोग अपने-अपने मोबाइलों में, सोशल मीडिया पर अधिक व्यस्त रहने लगे..ग्लेमर की दुनिया उन्हें अधिक आकर्षित करने लगी है . युवा वर्ग पर इसका सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है. वैसे सभी आयुवर्ग इससे प्रभावित हुए हैं..

हमें पुस्तकालयों के उपयोग को बढ़ाने के प्रयास करने चाहिए.. ताकि लोगों में पुस्तक पढ़ने की प्रवृत्ति बढ़े.. मुख्य रूप से बच्चों में.. चाहे उनके आकर्षण का हल्का फुल्का, बाल - साहित्य हो. शहर के पुस्तक मेलों में भी उन्हें अनिवार्य रूप से ले जाना चाहिये. जहाँ वे अपनी मन पसन्द पुस्तकें खरीदें...!

कमलेश वाजपेयी

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