कवितागजल
ग़ज़ल
ज़िंदगी यूँ ही बहुत कम है
मगर दिल में अरमान बहुत हैं,
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हमदर्द नहीं मिलता यहां कोई
वैसे तो जग में इंसान बहुत हैं,
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दिल के जख़्म दिखायें किसको
है चाहत जिनकी, वो अनजान बहुत हैं,
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सज़दे के लायक नहीं सब कोई
यूँ तो महफ़िल में मेहमान बहुत हैं,
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रखना बचाके ए दोस्त हया की दौलत
यहां कदम-कदम पर हैवान बहुत हैं,
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उम्मीदों के "दीप" जलाये रखना
ग़र भँवर में है कस्ती और तूफ़ान बहुत हैं..!
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रचनाकार:-
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
शिक्षक एवं साहित्यकार
हिसार , हरियाणा
संपर्क सूत्र -9050956788
बहुत ही बढ़िया रचना
ह्रदयतल से आभार आदरणीया
आपकी रचना बहुत अच्छी है बस मतले में भी क़ाफ़िया लगा लें
आदरणीया अंकिता जी मार्गदर्शन के लिये ह्रदयतल से आभार
वाह वाह
आदरणीय सुधीर जी हार्दिक आभार