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हमसफ़र - कुलदीप दहिया मरजाणा दीप (Sahitya Arpan)

कवितागजल

हमसफ़र

  • 556
  • 3 Min Read

ग़ज़ल

ज़िंदगी यूँ ही बहुत कम है
मगर दिल में अरमान बहुत हैं,
*****
हमदर्द नहीं मिलता यहां कोई
वैसे तो जग में इंसान बहुत हैं,
*****
दिल के जख़्म दिखायें किसको
है चाहत जिनकी, वो अनजान बहुत हैं,
*****
सज़दे के लायक नहीं सब कोई
यूँ तो महफ़िल में मेहमान बहुत हैं,
*****
रखना बचाके ए दोस्त हया की दौलत
यहां कदम-कदम पर हैवान बहुत हैं,
*****

उम्मीदों के "दीप" जलाये रखना
ग़र भँवर में है कस्ती और तूफ़ान बहुत हैं..!
*****

रचनाकार:-
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
शिक्षक एवं साहित्यकार
हिसार , हरियाणा
संपर्क सूत्र -9050956788

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Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

बहुत ही बढ़िया रचना

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

ह्रदयतल से आभार आदरणीया

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

आपकी रचना बहुत अच्छी है बस मतले में भी क़ाफ़िया लगा लें

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

आदरणीया अंकिता जी मार्गदर्शन के लिये ह्रदयतल से आभार

Sudhir Kumar

Sudhir Kumar 3 years ago

वाह वाह

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

आदरणीय सुधीर जी हार्दिक आभार

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