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#मेरा शहर
कानपुर.
कानपुर मेरे बचपन का शहर है.लखनऊ से 75 किमी. की दूरी पर, गंगा जी के तट पर स्थित है.यह एक औद्योगिक शहर है. यहां रक्षा मन्त्रालय के कई महत्वपूर्ण उपक्रम'' स्माल आर्म्स फैक्ट्री '' '' '' आर्डनेंसपैराशूट फैक्ट्री '' '' फील्ड गन फैक्ट्री '' आदि हैं
. कानपुर कभी '' मानचेस्टर आफ दि ईस्ट '' कहलाता था. 1778 में यहां अंग्रेज़ों की छावनी बनी.1857 में सिपाही विद्रोह की आग, यहां भी पहुंची भारतीय सैनिकों ने, नाना साहब के नेत्रत्व में 300 अंग्रेज़ो पर घातक हमला बोला था. उसकी स्मृति में '' मैसेकर '' घाट बना है. अब इसका नाम '' नाना राव घाट है. यह आःगणेश शंकर विद्यार्थी.. जी की जन्मस्थली भी है. वर्तमान राष्ट्रपति भी कानपुर से हैं. उन्होंने बीएन एस डी कालेज से शिक्षा पायी है. अटल जी डी ए वी कालेज के विद्यार्थी थे. यह गोपालदास नीरज जी की भी कर्मस्थली रही है.
यहां बहुत सी प्रसिद्ध मिलें थीं.यह मज़दूरों का शहर..कहलाता था. ! किन्तु धीरे-धीरे मजदूर - मालिक संघर्ष के कारण अधिकांश मिलें बन्द हो गयीं. कानपुर की '' लाल इमली '' अभी भी ऊनी कपड़े, कंबल, लोई आदि बनाती है.
'' ग्रीनपार्क '' अन्तरराष्ट्रीय क्रिकेट का प्रसिद्ध मैदान रहा है आस्ट्रेलिया को पहली बार भारत में ही हराने का श्रेय कानपुर को जाता है. लेकिन बाद में, राजनीतिक कारणों से उसकी देखरेख कम होती चली गई और कानपुर को मैच मिलने कम हो गए.
कानपुर चमड़े के काम के लिए बहुत प्रसिद्धि है. बहुत सी टैनरी हैं. कानपुर अपने थोक बाजारों के लिए भी जाना जाता है.
कानपुर के '' एलेन फारेस्ट '' में एक प्राक्रतिक झील है. अब यह कानपुर का प्रसिद्ध ज़ू (प्राणिउद्यान) है.
कानपुर की होली 7दिन चलती है.इसके पीछे अंग्रेज़ शासकों और व्यापारियों के संघर्ष में व्यापारियों की जीत है. सातवें दिन होली मेला होता है. आफिस भी बन्द रहते हैं. पूरे शहर में बहुत ज़ोरदार होली खेली जाती है. शाम को गंगाजी के घाटों पर बहुत से शिविर लगते हैं, लोग गले मिलते हैं, ठंडाई आदि बनती है.
कानपुर का डी ए वी कालेज, प्रदेश का सबसे बड़ा विद्यालय रहा है. बी एन एस डी कालेज, सुरेंद्र नाथ सेन गर्ल्स कालेज, डी जी गर्ल्स, भी प्रसिद्ध विद्यालय रहे हैं.
कानपुर में मंहगे बाज़ारों के अतिरिक्त बहुत से, सस्ते और अच्छे बाजार भी हैं, जिससे हर आर्थिक स्थिति का व्यक्ति आराम से जीवन यापन कर लेता है. खाने पीने की चीजें. चाट, मिठाई आदि बहुत अच्छी मिलती हैं. यहां के '' ठग्गू के लड्डू'' और देशी घी के बनारसी के लड्डू बहुत प्रसिद्ध हैं. हर तरह की चाट, गुजराती नमकीन, खस्ते. कचौड़ी तो खूब मिलती हैं.
कई फिल्मों की कुछ शूटिंग.. जैसे बंटी और बबली, बाला, तनू वेड्स मनू, पति पत्नी और वो (आयुष्मान खुराना की), आदि.
अपनी कनपुरिया बोली के लिए भी कानपुर बहुत प्रसिद्ध है जैसे.. . भन्न से कंटाप मारना! बकैती दिखाना! झड़े रहो कलेक्टर गंज..!! काहे हो! मिसरा जी, ई जाड़े मां पानी बरसवाए.. दिऔ..! भयंकर ठंडी करवाय दिऔ..
कानपुर से बोल रहे हैं.. '' पहिचान तो गए हुइहौ.. '' अन्नू अवस्थी... शायद कुछ लोगों ने देखा हो..! हास्य कलाकार राजू श्रीवास्तव और गायक'' शान '' भी कानपुर से ही हैं.
कानपुर के बिठूर, नानाराव पार्क, जे के मन्दिर,आई आई टी, मोतीझील, गंगा बैराज आदि प्रसिद्ध स्थल हैं. बिठूर का पौराणिक महत्व भी है.'' सीता जी की रसोई '' ब्रम्हा जी की खूंटी '' यहां दर्शनीय हैं. प्रति वर्ष गंगा महोत्सव का आयोजन होता है. यहां गंगा जी का पानी बहुत स्वच्छ है.
पुराने समय में जब पिक्चर केवल हाल में देखी जाती थी.तब बहुत से पिक्चर हाल माल रोड की लाइन में थे. पहले माल रोड स्थित 'यूनिवर्सल बुक स्टाल' बहुत आधुनिक और सम्रद्ध था उसी मार्ग में प्रसिद्ध रेस्तरां फूलबाग चौराहे से शुरू हो जाते थे. बायीं ओर, एल आई सी बिल्डिंग, एस एन सेन बालिका विद्यालय, क्वालिटी, वोल्गा आदि रेस्तरां और पिक्चर हाल, पड़ते थे. पिक्चर हाल का स्थान तो अब माल में बने मल्टीप्लेक्स ने ले लिया है.
अब मेट्रो लाइन का भी निर्माण तेजी से चल रहा है.. कानपुर एक दर्शनीय शहर है.
कमलेश चन्द्र वाजपेयी.. कानपुर /नोएडा
बहुत बढ़िया सर जी..!👌 बेहद खूबसूरती से अपने शहर का वर्णन किया..!👌👌
पूनम. आपका. बहुत धन्यवाद.