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तुम बच्चे भी!
(एक बालक से बातचीत का अंश)
मैं: तरुण,तुम कितने साल के हो ?
तरुण: 5 साल 3 महीने का।
मैं: तुम स्कूल जाते हो ?
तरुण: हां।
मैं: क्या तुम्हारे स्कूल में लड़के और लड़कियां दोनों पढ़ते हैं ?
तरुण:। हां।
मैं: क्या तुम मुझे अपने दोस्तों के नाम बता सकते हो ?
तरुण: कुणाल,अभिनव,रजत,सौम्य,सात्विक और एलेन।
मैं: बस ?
तरुण: हां।
मैं: मगर ये सब तो लड़के हैं,क्या लड़कियां तुम्हारी दोस्त नहीं है ?
तरुण: नहीं।
मैं: तो ,तुम लड़कियों से दोस्ती नहीं करते, क्या उनके साथ खेलते भी नहीं ?
तरुण: नहीं,मुझे लड़कों के साथ खेलना अच्छा लगता है। मैं लड़का हूं,तो लड़कों के साथ ही खेलूंगा ,ना ?
मैं: क्या लड़के और लड़कियों में फर्क होता है ?
तरुण: हां।
मैं: वह कैसे ?
तरुण: अम्.. लड़कियां ,लड़कियां डरपोक होती हैं।
मैं: वो कैसे ?
तरुण: जब लड़के मारपीट करने वाले खेल खेलते हैं ,तो वो डर जाती हैं,शोर मचाती हैं, रोने भी लगती हैं।
मैं: लड़कियां ऐसा क्यों करती हैं ?
तरुण: अम..भगवान ने उन्हें ऐसा बनाया है,शायद..मुझे नहीं पता।
मैं: लड़के और लड़कियों में तेज कौन होता है ?
तरुण: लड़के, हां..लड़के।
मैं: नहीं भाई,लड़कियां ज्यादा तेज होती है।
तरुण: स्पोर्ट्स में हम लोग तेज हैं।
मैं: क्या लड़कियां पढ़ने में ज्यादा तेज नहीं होती ?
तरुण: दोनों होते हैं।
मैं: अच्छा यह बताओ हिम्मत किसके पास ज्यादा होती है ?
तरुण: लड़कों में,लड़कियां तो बात - बात पर रोने लगती हैं।
मैं: अच्छा ये बताओ,अच्छा कौन होता है ?
तरुण: अच्छी तो लड़कियां होती हैं।
मैं: सच ?अच्छा ,ज्यादा बातें कौन करता है ?
तरुण: लड़कियां।
मैं: लड़कियां अच्छी होती हैं,इसीलिए मारपीट और लड़ाई झगड़ा नहीं करतीं,क्या ये बात सही है ?
तरुण: मालूम नहीं.......मगर......
नहीं,कुछ लड़कियां अच्छी होती हैं।
मैं: मुझे बताओ ,कोई दो बातें जो लड़कों की अच्छी हैं और दो बातें जो लड़कियों की अच्छी हैं।
तरुण: लड़के गलत बात पर मारते हैं , वो चुप रहती हैं । और दूसरा ,लड़के हेल्प करते हैं ,लड़कियां हेल्प मांगती हैं।
मैं: भाई ,लड़कियों की अच्छी बात भी तो
बताओ।
तरुण: जब वो मम्मी रहती हैं तो सबसे अच्छी हो जाती हैं।
बच्चे तुमने एक सार्वभौमिक सत्य को सामने रख दिया!
तुम भी!