कवितालयबद्ध कविता
हम प्रेम के बोल के मारे हैं।
बस प्रेम से बोल लीजिये।
कानों में दो मिश्री के
शब्द जरा घोल दीजिये।
कड़वी भाषा सुनी नही।
हम प्रेम में जीने वाले हैं।
न दिल के हम कभी काले थे
न जज्बातों के काले हैं।
कानों को शब्द एक ही
हमने सुनवा रखा है।
आस पास का दायरा
बस प्रेम से बुनवा रखा है।
आप भी घिरकर देखिये
बड़ा लाजवाब सा रस्ता है
यहां किसी का किसी से बैर नही
यहां प्रेम बड़ा ही सस्ता है।
यहां प्रेम बड़ा ही सस्ता है। - नेहा शर्मा