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सहमा हुआ इतिहास - Kamlesh Vajpeyi (Sahitya Arpan)

लेखसमीक्षा

सहमा हुआ इतिहास

  • 806
  • 12 Min Read

एक पाठकीय समीक्षा

"   सहमा हुआ इतिहास " (कहानी संग्रह)
लेखिका : डॉ प्रतिभा त्रिवेदी

"सहमा हुआ इतिहास.. " डा प्रतिभा त्रिवेदी जी की एक विलक्षण क्रति है.
प्रतिभा जी ग्वालियर के एक कन्या विद्यालय की प्रधानाचार्या हैं.

वैसे तो उनकी बहुत सी रचनाएँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं. वे बहुत अच्छा लिखती हैं. फेसबुक पर भी वे खूब लिखती हैं, और बहुत लोकप्रिय भी हैं.
यह उनका पहला कहानी संग्रह है. जो   "लाक डाउन " के समय में लिखा गया है.


कोरोना वायरस ने समस्त जनजीवन को सहसा, एकदम स्थिर कर दिया था.. भारतीय रेल के अनवरत चलते चक्के.. सहसा थम गये थे..रेलवे स्टेशनों की चौबीसों घंटे चलने वाली, चहल-पहल का स्थान वीरानगी ने ले लिया है.



यह अनूठा, " कहानी संग्रह " उन्हीं ठिठके हुए कदमों की पदचाप है..
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एक से एक भावपूर्ण और मर्मस्पर्शी कहानियां पाठकों को मन्त्रमुग्ध कर देती हैं. इस संग्रह में कुल 41 कहानियां हैं. जो पूरी तरह से मन मस्तिष्क पर छा जाती हैं.

पहले हम उपन्यास, कहानी और कुछ पुरानी फिल्मों में ही महामारियों की विभीषिका देखते थे, किन्तु दुर्भाग्यवश उसी इतिहास की जैसे पुनरावृत्ति हो गयी..है.



कहानी " सहमा हुआ इतिहास." में उसी की  एक झलक देखने को मिलती है.. नाना जी को समय चक्र में फंस कर, अभिजात्य कुल की मर्यादा त्याग कर '' डोम का कार्य " करने पर मजबूर होना पड़ता है..

प्रतिभा जी की भाषा बहुत सशक्त और आकर्षक  है.

छोटी से छोटी कहानी में लगता है कि जैसे "  गागर मे सागर." है. मैं काफी समय से डा प्रतिभा त्रिवेदी जी की रचनायें  फ़ेसबुक पर पढ़ता रहा हूं. बहुत अच्छा लिखती हैं. एक एक कहानी अपने आप में विशिष्ट है उनमें विविधता है. जो आपका मन मोह लेगी.

'' बाबा कब आओगे.. " में 'क्रषक बाबा' का पौत्र  , नगर में सुख सुविधाओं के बीच भी, बीमारी में,भी अपने बाबा को ही याद करता है.. बाबा का मन भी दुष्चिन्ताओं से विचलित हो जाता है..
" उड़ान  " की स्वाति.. पांच महीनों से लाक डाउन से त्रस्त.. वर्क फ्राम होम.. के साथ घर के सभी काम कर कर के त्रस्त है, अनलाक शुरू होने पर मुक्त हवा में, आज़ादी की सांस लेती है. कोरोना का भय उसके आगे मन्द पढ जाता है.

" देन हार कोऊ  और है." में रोज़ कमाने, खाने वाले वर्ग की कारूणिक. व्यथा - कथा है..!

" एहसासों का बन्धन " भी एक बहुत सुन्दर  मर्मस्पर्शी प्रेमकथा है. 
"  प्रायश्चित " दहेज़ की बलिवेदी पर  चढ़ी, कन्याओं की एक करूण कथा है.

कुछ बहुत छोटी छोटी कहानियां  " मोर्चे पर" 1 और 2.. अत्यंत भावपूर्ण हैं. " अनुपम प्रेमोपहार" की पत्नी वैलेंटाइन डे पर.  " सिलबट्टे " की भेंट से ही भावविभोर हो उठती है. लगता है, एक एक कथा, अलग अलग समीक्षा की पात्र है..!

पुस्तक का मुद्रण भी बहुत अच्छा है..

कमलेश वाजपेयी
नोएडा



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Amrita Pandey

Amrita Pandey 2 years ago

सर, बहुत अच्छी समीक्षा की है आपने। आपकी समीक्षा पढ़कर लगता है कि बहुत अच्छा संकलन होगा।

Kamlesh Vajpeyi 2 years ago

अम्रता जी. बहुत धन्यवाद..! 🙏

समीक्षा
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