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एक खत इच्छा के नाम - Mamta Gupta (Sahitya Arpan)

कविताअतुकांत कविता

एक खत इच्छा के नाम

  • 226
  • 4 Min Read

एक खत इच्छा के नाम
ओ इच्छा
तुम मेरे मन को क्यों घेरे रहती हैं
क्यों बच्चो की तरह शोर मचाती रहती हैं।।
एक इच्छा पूरी होते ही क्यों दूसरी पैदा हो जाती हैं
तुझे पूरा करने के लिए ना जाने
तू क्या क्या नाच नचाती हैं।।
माना ज़िंदगी मे तेरा होना जरुरी हैं
क्योंकि तेरे बिना ज़िंदगी अधूरी हैं,
इच्छा तेरे लिए ही तो हर इंसान जिये जा रहा हैं।
कैसे ना कैसे तुझे पूरी करने
की कोशिश में दिन रात कमाए जा रहा है,
अब थोड़ा थम जा मन को थोड़ा समझा।।
तेरा असीमित होना मेरे मन को बहका रहा हैं।
इच्छा अब तुझ को सीमित
रखने के लिए ये "मन "शिकंजा कस रहा हैं।।
ओ इच्छा बस अब तू थम जा।
मैने मन को समझा लिया है।।

ममता गुप्ता✍️

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Sarla Mehta

Sarla Mehta 4 years ago

वाह जी

Champa Yadav

Champa Yadav 4 years ago

सुन्दर... कविता... इच्छा ही जो हमे जीने का मक्सद देती है...

Mamta Gupta4 years ago

जी धन्यवाद

नेहा शर्मा

नेहा शर्मा 4 years ago

बेहतरीन इच्छा को भी खत लिखा जा सकता है और वह भी इतना प्यारा सा। क्या कहने। बहुत खूब

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