Help Videos
About Us
Terms and Condition
Privacy Policy
ज़िंदगी - कुलदीप दहिया मरजाणा दीप (Sahitya Arpan)

कवितागजल

ज़िंदगी

  • 220
  • 6 Min Read

ए ज़िंदगी तू ही बता मुझको
और कितने इम्तिहान बाक़ी हैं,
*****
तेरे मयख़ाने में, मैं ही अकेला हूँ
या और भी कई साक़ी हैं,
*****
कुछ इस क़द्र पिला ज़ाम तू ग़मों के
महफ़िल में सब कहें कि ये तो शराबी है,
*****
हर बार ही मुझे क्यों मिलते हैं दिलासे
बता तो सही मुझमें ऐसी भी क्या खराबी है,
*****
मेरे सब्र के समंदर अब सूख चले हैं
रही ना कोई अब मेरे दिल मे प्यास बाकि है,
******
अकेला नहीं हूँ मैं संग कारवाँ भी होगा
मुश्किल है डगर मग़र अभी तो जान काफी है,
*****
सूदूर तक मुझे यूँ तो नहीं लगती उम्मीद कोई
ख़ैर कोई बात नहीं,इस सफ़र में और भी कई साथी हैं,
*****
जिन्हें वहम था डूबने के वो संग छोड़ गए कब के
अरे भोर की चाह में हमने तो कई रातें ताकी हैं,
*****
मुद्दतों बाद ख़ैर कोई ऐसा तो मिला
दिये ज़ख्म पे ज़ख्म जिसने बेहिसाबी हैं,
*****
अच्छा सिला दिया हमें भी बड़ा गुमाँ था
मेरी हस्ती को मिटाने में ना छोड़ी कसर बाकी है,
******
क्या हुआ जो तूने संग छोड़ दिया "दीप" का
हौंसलें तो अब भी मेरे यूँ ही आफ़ताबी हैं !
******
रचनाकार :-
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
शिक्षक एवं साहित्यकार
हिसार (हरियाणा) भारत
संपर्क सूत्र-905095678
मेल अड्रेस - ddeep935@gmail.com

IMG-20200505-WA0072_1593774749.jpg
user-image
Gita Parihar

Gita Parihar 3 years ago

अहा, बहुत खूब!

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

हार्दिक आभार आदरणीया

रानी सिंह

रानी सिंह 3 years ago

ह्रदय को छूने वाली रचना

कुलदीप दहिया मरजाणा दीप3 years ago

जी ह्रदयतल से आभार रानी जी

प्रपोजल
image-20150525-32548-gh8cjz_1599421114.jpg
वो चांद आज आना
IMG-20190417-WA0013jpg.0_1604581102.jpg
माँ
IMG_20201102_190343_1604679424.jpg
तन्हाई
logo.jpeg