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जोगन - नेहा शर्मा (Sahitya Arpan)

कविताभजन

जोगन

  • 245
  • 5 Min Read

बांध घुंघरू पैर में अपने मैं जोगन बन जाऊँगी।
तू थामेगा जो हाथ मेरा मैं पागल ही हो जाउंगी।
उठते बैठते सपने देखूं खुद पर मैं इतराउंगी।
दुनिया का पता नही मैं खुशनसीब कहलाऊंगी।
लगा चरण को माथे से मैं कभी दूर न जाउंगी।
जो वादा करके ना मुकरे तुझ संग प्रीत लगाउंगी।
होने दे तू मुझे बावरी तेरे रंग में रंग जाऊंगी।
श्री राज मिले मुझे आज मैं तज प्राण निकल जाउंगी।
मिलेंगे सखी पन्ना जी में मैं वादा करके जाउंगी।
न होश करूँगी दुनिया का बस पीछे चलती जाउंगी।
एक बार पकड़ लो हाथ मेरा मैं पीछे नही मुड़ पाउंगी।
तरस रहे है नयना मेरे मैं हर एक वचन निभाऊंगी।
इस मोह पाश से निकल मैं इश्क में ऐसी रम जाउंगी।
भर के प्याले मधुमेह के मैं रूप रंग बस सजाऊंगी।
होकर बैठूंगी तैयार चौखट पर हर अंग को ऐसे सजाऊंगी।
बस आएंगे अब पिया मेरे हर किसी को यही बताउंगी।
मैं तेरे संग ही जाउंगी धनी तुझमे ही बस जाउंगी। - नेहा शर्मा

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Kamlesh  Vajpeyi

Kamlesh Vajpeyi 3 years ago

भावपूर्ण समर्पण..!!

Ankita Bhargava

Ankita Bhargava 3 years ago

बहुत सुंदर

प्रपोजल
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वो चांद आज आना
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माँ
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तन्हाई
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