कविताभजन
बांध घुंघरू पैर में अपने मैं जोगन बन जाऊँगी।
तू थामेगा जो हाथ मेरा मैं पागल ही हो जाउंगी।
उठते बैठते सपने देखूं खुद पर मैं इतराउंगी।
दुनिया का पता नही मैं खुशनसीब कहलाऊंगी।
लगा चरण को माथे से मैं कभी दूर न जाउंगी।
जो वादा करके ना मुकरे तुझ संग प्रीत लगाउंगी।
होने दे तू मुझे बावरी तेरे रंग में रंग जाऊंगी।
श्री राज मिले मुझे आज मैं तज प्राण निकल जाउंगी।
मिलेंगे सखी पन्ना जी में मैं वादा करके जाउंगी।
न होश करूँगी दुनिया का बस पीछे चलती जाउंगी।
एक बार पकड़ लो हाथ मेरा मैं पीछे नही मुड़ पाउंगी।
तरस रहे है नयना मेरे मैं हर एक वचन निभाऊंगी।
इस मोह पाश से निकल मैं इश्क में ऐसी रम जाउंगी।
भर के प्याले मधुमेह के मैं रूप रंग बस सजाऊंगी।
होकर बैठूंगी तैयार चौखट पर हर अंग को ऐसे सजाऊंगी।
बस आएंगे अब पिया मेरे हर किसी को यही बताउंगी।
मैं तेरे संग ही जाउंगी धनी तुझमे ही बस जाउंगी। - नेहा शर्मा