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पास आ रहा है - INDER BHOLE NATH (Sahitya Arpan)

कवितागजल

पास आ रहा है

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वो अब भी वफा निभा रहा है,पास आ रहा है
जब भी कोई गम सता रहा है,पास आ रहा है

मैं उस की रवानगी को कैसे रवानगी कह दूं
कि वो जितना दूर जा रहा है, पास आ रहा है

किसी खत की खुशबू है फिर हवाओं में बिखरी
फिर, कोई डाकिया जैसे , पास आ रहा है

वो अब भी वफा निभा रहा है,पास आ रहा है
जब भी कोई गम सता रहा है,पास आ रहा है

इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश

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