कवितागजल
वो अब भी वफा निभा रहा है,पास आ रहा है
जब भी कोई गम सता रहा है,पास आ रहा है
मैं उस की रवानगी को कैसे रवानगी कह दूं
कि वो जितना दूर जा रहा है, पास आ रहा है
किसी खत की खुशबू है फिर हवाओं में बिखरी
फिर, कोई डाकिया जैसे , पास आ रहा है
वो अब भी वफा निभा रहा है,पास आ रहा है
जब भी कोई गम सता रहा है,पास आ रहा है
इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश